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रेलवे स्टेशन प्रबंधक का अनोखा रिकॉर्ड…पीएनआर से ढूंढ़े खोए सामान के मालिक… राकेश शर्मा का विश्व में फैला पुनीत कार्य

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन प्रबंधक राकेश शर्मा ने विश्व में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। वे अर्से से ट्रेनों में यात्रियों के छूट जाने वाले सामान को पीएनआर या सोशल मीडिया की मदद से यात्रियों तक पहुंचाने का पुनीत कार्य करते हैं। उनका यह अद्भुत कार्य विश्व में एक अनोखा रिकॉर्ड है। अब तक १,६५८ यात्री अपना खोया हुआ सामान प्राप्त कर चुके हैं, जिनमें ४० यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इटली, साउथ कोरिया, अर्जेंटाइना, केन्या, नेपाल, यूक्रेन, नाइजीरिया, इंडोनेशिया, तिब्बत के यात्री भी शामिल हैं। सामान में लैपटाप, मोबाइल, ट्रॉली बैग्स, टैबलेट, ज्वेलरी, वैâश तथा अन्य कीमती सामान, जिनकी कीमत लगभग सवा ४ करोड़ रुपए से ज्यादा है।
राकेश शर्मा को इस सराहनीय कार्य के लिए एक्जिम द्वारा ‘स्पेशल जूरी अवॉर्ड २०२२’, रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव द्वारा ‘अति विशिष्ट रेल सेवा पुरस्कार-२०२३’ और केकेएमसी द्वारा ‘समाज रत्न’ अवॉर्ड २०२४ एनबीटी द्वारा ‘प्रेरणादीप’-२०२५ समेत कई सामाजिक पुरस्कार प्रदान किए जा चुके है। हाल ही में उन्होंने दरभंगा-नई दिल्ली स्पेशल एक्प्रेस ट्रेन में लावारिस मिले एक ट्रॉली बैग को यात्री सोमनाथ और उनकी माता जी को सुपुर्द किया था, जिसमें दस हजार रुपए वैâश, एक सोने का मांग टीका का भी था।
इसी तरह बरोनी-नई दिल्ली स्पेशल एक्प्रेस ट्रेन में मिले एक बैग को यात्री ललन झा और उनकी धर्मपत्नी रज्जो देवी को लौटाया है, जिसमें एक लाख तीन हजार नौ सौ रुपए वैâश एक सोने का मंगलसूत्र और चांदी की पायल का सेट था। इस कड़ी में कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस में एक टैबलेट मिला, जिसे यात्री राजेश्वर सिंह को ढूंढ़कर उनको लौटाया गया। पिछले दिनों एक सिख परिवार रजतदीप सिंह और उनकी पत्नी सरदारनी सोनम कौर को, जो अमृतसर से नई दिल्ली आ रहे थे और अपना कीमती समान शताब्दी एक्सप्रेस में भूल गए थे, उन्हें पीएनआर नंबर से ढूंढ़कर उनका सामान वापस दिलाया था।
बीते दिनों अंबाला के छोटे से मास्टर दक्ष गुप्ता का बैग जो वह वीआईपी रूम में भूल गए थे, उनको ढूंढ़कर वापस किया गया था। एक स्कूल मास्टर प्रमोद कुमार पालो मोहाना, गजापति, उड़ीसा के रहने वाले हैं वो अपना बैग एसी वेटिंग रूम में भूल गए थे, जो उनको ढूं़ढ़कर वापस किया गया। सुमित अग्रवाल जो एक आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर हैं, देहरादून शताब्दी से सफर करते हुए अपना कीमती बैग ट्रेन में ही भूल गए थे, जो उनसे संपर्क करके उनको बैग वापस लौटाया गया। नेहा सलूजा अपने बेटे मास्टर गुरमन सिंह के साथ देहरादून शताब्दी से सफर करते हुए अपना कीमती मेडिकल किट ट्रेन में ही भूल गई थीं। उनसे संपर्क करके उनका कीमती मेडिकल किट वापस लौटाया गया।
यूट्यूब पर आभार
बबिता भाटिया जो चंडीगढ़ शताब्दी से सफर करते हुए अपना कीमती बैग ट्रेन में ही भूल गई थीं। उनसे संपर्क करके उनको उनका कीमती बैग वापस लौटाया गया। जबकि राकेश शर्मा उस समय हॉस्पिटल में भर्ती थे। उन्होंने हॉस्पिटल में भर्ती होते हुए यात्री को ढूंढ़ निकाला। राकेश शर्मा के इस पुनीत कार्य से लाभान्वित हुए सभी यात्रियों ने अपने-अपने तरीके से उनके प्रति आभार व्यक्त किया है। किसी ने सोशल मीडिया पर, किसी ने यूट्यूब पर तो किसी ने पत्र लिखकर उनका आभार व्यक्त किया है।

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