मुख्यपृष्ठसंपादकीयराजधानी लाइव: दिल्ली में सियासी झांकी का झंझट!

राजधानी लाइव: दिल्ली में सियासी झांकी का झंझट!

वेंâद्र सरकार के साथ दिल्ली सरकार का कोई न कोई विवाद बना ही रहता है। एक विवाद सुलझता है तो दूसरा जन्म ले लेता है। विवाद भी ऐसे, जो बिल्कुल अलहदा और नए-नवेले, जिन्हें जानकर या सुनकर कोई भी इंसान थोड़ी देर के लिए अचंभे में पड़ जाए। ऐसा ही एक नए किस्म का विवाद इस वक्त दिल्ली में खड़ा हुआ है। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ‘झांकी’ को लेकर बवाल कटा हुआ है। विवाद दरअसल ये है कि आगामी गणतंत्र दिवस यानी २६ जनवरी के दिन इंडिया गेट पर आयोजित होने वाली राष्ट्रीय परेड में दिल्ली की ‘झांकी’ को अनुमति नहीं दी गई है। परेड समिति ने दिल्ली की झांकी को कुछ राजनीतिक कारणों से रिजेक्ट किया गया है। कारण यह बताया है कि परेड के माध्यम से केजरीवाल राजनीति करना चाहते हैं। अपने कामों का प्रचार चाहते हैं। वैसे ये तो नया-नया विवाद है, पर केंद्र और केजरीवाल के बीच कई मसलों को लेकर इस वक्त और भी तमाम विवाद छिड़े हुए हैं। लेकिन उन्हें छोड़कर सियासी खींचतान अब ‘झांकियों’ तक पहुंच गई है।
बहरहाल, किस प्रदेश की झांकी को शामिल करना, किसे नहीं, ये निर्णय तो हो चुका है। इस क्रम में आम आदमी पार्टी के रूलिंग प्रदेशों को २६ जनवरी पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में शामिल नहीं किया जाएगा। ये सूचना जब से केजरीवाल को मिली है, वह तमतमाए हुए हैं। वैसे उनका नाराज होना स्वाभाविक भी है। आखिर उनकी झांकी को ऐन वक्त पर रिजेक्ट जो कर दिया गया। बतौर, केजरीवाल झांकी की तैयारी वे बीते सितंबर माह से ही कर रहे थे। इस बार दिल्ली सरकार की योजना थी कि शिक्षा और स्वास्थ्य के मॉडल को झांकी के जरिए प्रस्तुत कर न सिर्पâ हिंदुस्थान को, बल्कि समूचे संसार को दिखाएंगे। प्रâांस के राष्ट्रपति समारोह के मेहमान हैं। वो भी देखेंगे और अपने मन में सोचेंगे कि वास्तव में दिल्ली की हुवूâमत स्वास्थ्य और शिक्षा पर अच्छा काम कर रही है, लेकिन केंद्र ने केजरीवाल की योजनाएं गुड़-गोबर कर डाली। एक झटके में उनकी तैयारियों पर पानी पेâर दिया गया।
बहरहाल, झांकियों को शामिल करने की एक प्रक्रिया होती है। राज्यों की तरफ से कुछ माह पहले केंद्र को प्रस्ताव भेजे जाते हैं, जिसमें दिल्ली सरकार थोड़ी विलंब हो गई। यही कारण है कि रक्षा मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी ने इस साल गणतंत्र दिवस परेड-२०२४ के लिए दिल्ली की झांकी को शामिल नहीं किया। ऐसे में यह लगातार तीसरा गणतंत्र दिवस होगा, जब दिल्ली की झांकी देश के मुख्य समारोह का हिस्सा नहीं होगी। इससे पहले वर्ष-२०२१ में दिल्ली की झांकी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुई थी, तब चांदनी चौक में किए गए री-डेवलपमेंट की थीम पर आधारित झांकी निकाली गई थी। लेकिन इस बार केजरीवाल अपने राजनीतिक मॉडल की प्रस्तुति चाहते थे। विवाद यहीं से आरंभ हुआ। समिति ने उनके समक्ष प्रस्ताव रखा भी था कि दिल्ली अपनी संस्कृति की छवि झांकी के माध्यम से पेश कर सकती है, पर केजरीवाल अपनी जिद पर अड़े रहे। तब हार कर समिति ने यह निर्णय लिया। लेकिन ये विवाद अब राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जो शायद जल्द शांत न हो?
वहीं दिल्ली सरकार मानती है कि यह अमृतकाल का दौर चल रहा है, इसलिए उन्होंने २६ जनवरी पर ‘विकसित भारत’ की थीम पर आधारित झांकी का प्रस्ताव वेंâद्र सरकार को भेजा था, जिसमें दिल्ली के विकास की नई तस्वीर पेश होती। झांकी में दिल्ली के नए सरकारी स्वूâलों, अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों के मॉडल को दर्शाना था, जिसने राजधानी को एक नई पहचान दिलाई है, पर केंद्र सरकार की स्क्रीनिंग कमिटी को यह थीम बिल्कुल भी नहीं जंची, इसलिए कमिटी ने इसे रिजेक्ट कर दिया। केजरीवाल इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घसीट रहे हैं। केजरीवाल कहते हैं कि ये सब उन्हीं के इशारे पर हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है कि २०२४ की सियासी लड़ाई में अभी एकाध महीने शेष हैं, लेकिन नूराकुश्ती अभी से शुरू हो गई है। नए-नए विवाद मुद्दों को हवा देने लगे हैं। दरअसल, राजनीतिक दल भी तो यही चाहते हैं कि उपजे विवादों पर चर्चाएं होती रहें, जिससे राजनीतिक गतिविधियों से लोग चौकन्ने रहें। कुल मिलाकर ठंड में भी गर्मी का एहसास होता रहे।
गौरतलब है कि झांकी से उपजा ये सियासी झंझट कुछ दिनों तक शोर जरूर मचाएगा। हालांकि, ऐसे मुद्दों की मियाद ज्यादा लंबी नहीं होती, समय के साथ कुंद पड़ जाते हैं। फिलहाल, मुख्यमंत्री केजरीवाल झांकी के जरिए केंद्र सरकार पर अब भेदभाव और राजनीति से प्रेरित भी बता रहे हैं। दिल्ली के अलावा केंद्र सरकार ने पंजाब की भी झांकी को परेड में शामिल नहीं करने का निर्णय लिया है, जिससे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी गुस्सा गए हैं। उन्होंने इस निर्णय को पंजाबियों के अपमान से जोड़ दिया है। भगवंत मान कहते हैं कि अगर प्रधानमंत्री का बस चले तो वे राष्ट्रगान में प्रयोग होने वाले ‘पंजाब’ शब्द को भी हटा दें। पंजाब की झांकी में कृषि कानून आंदोलन के वक्त सैकड़ों जान गंवाने वाले किसानों की शहादत को दिखाना था। इसके अलावा पंजाबी खेती, खानपान और आर्मी गतिविधियों को प्रदर्शित करना था, लेकिन उन्हें भी अनुमति नहीं मिली। इसको लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री खासे नाराज हैं। आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को आगामी लोकसभा चुनाव में जरूर भुनाएगी।
किस प्रदेश की झांकी को शामिल करना, किसे नहीं, ये निर्णय तो हो चुका है। इस क्रम में आम आदमी पार्टी के रूलिंग प्रदेशों को २६ जनवरी पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में शामिल नहीं किया जाएगा। ये सूचना जब से केजरीवाल को मिली है, वह तमतमाए हुए हैं। वैसे उनका नाराज होना स्वाभाविक भी है। आखिर उनकी झांकी को ऐन वक्त पर रिजेक्ट जो कर दिया गया। बतौर, केजरीवाल झांकी की तैयारी वे बीते सितंबर माह से ही कर रहे थे। इस बार दिल्ली सरकार की योजना थी कि शिक्षा और स्वास्थ्य के मॉडल को झांकी के जरिए प्रस्तुत कर न सिर्पâ हिंदुस्थान को, बल्कि समूचे संसार को दिखाएंगे। प्रâांस के राष्ट्रपति समारोह के मेहमान हैं। वो भी देखेंगे और अपने मन में सोचेंगे कि वास्तव में दिल्ली की हुवूâमत स्वास्थ्य और शिक्षा पर अच्छा काम कर रही है, लेकिन केंद्र ने केजरीवाल की योजनाएं गुड़-गोबर कर डाली। एक झटके में उनकी तैयारियों पर पानी पेâर दिया गया।

डॉ. रमेश ठाकुर नई दिल्ली

(उपरोक्त आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं। अखबार इससे सहमत हो यह जरूरी नहीं है।)

अन्य समाचार