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किराये पर मकान देनेवाले मालिकों पर गिरी टैक्स की गाज!.. अब देना होगा ज्यादा कर

सामना संवाददाता / मुंबई

अगर कोई मकान मालिक अपना घर किराये पर देकर उससे कमाई कर रहा है तो अब उसे सरकार को ज्यादा टैक्स देना होगा। असल में मोदी सरकार के इस बजट में एक ऐसा एलान हुआ है जो मकान मालिक के टैक्स का बोझ बढ़ा सकता है।
बजट डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, रहिवासी प्रॉपर्टीज पर होने वाली किराये की आमदनी को अब ‘इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी’ के तौर पर दिखाना होगा, जिसे कि अबतक लोग बिनेजस इनकम के रूप में दिखा देते थे और टैक्स छूट का फायदा उन्हें मिल जाता था। इनकम टैक्स एक्ट की धारा २८ में प्रस्तावित संशोधन का मकसद साफ तौर पर इस चीज को सुधारना है कि रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज को किराए पर देने से होने वाली आय को ‘इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी’ के रूप में ही वर्गीकृत किया जाना चाहिए। ये संशोधन अगले साल यानी १ अप्रैल, २०२५ से लागू होगा। दरअसल, कई मकान मालिक रेंटल इनकम को बिजनेस एंड प्रोफेशन में डाल देते हैं, जबकि उन्हें हाउस प्रॉपर्टी की कैटेगरी में डालना चाहिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कहा है इनकम टैक्स के अधिनियम में एक संशोधन किया जाता है, जिससे ये साफ हो जाता है कि रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज से होने वाली रेंटल आय को अनिवार्य रूप से इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी के तौर पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए, न कि बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाले फायदे के तौर पर। दरअसल, अभी तक जो भी मकान मालिक रेंटल इनकम को बिजनेस या प्रोफेशन के तौर पर दिखाते थे, वो खर्चे दिखाकर टैक्स छूट हासिल कर लेते थे, जिससे उनकी टैक्सेबल इनकम घट जाती थी। जैसे, मेनटेनेंस कॉस्ट, रिपेयर का काम और मकान चूंकि एक डेप्रिसिएशनेबल एसेट है, उसका भी फायदा डिडिक्शन क्लेम करके उठा लेते थे।
बजट से रियल्टी सेक्टर हुआ तबाह…चार दिनों में निवेशकों के डूबे ६,४८० करोड़!

मोदी सरकार के बजट को रियल्टी सेक्टर ने पसंद नहीं किया है। इसका परिणाम है कि पिछले चार कारोबारी सत्रों में इस क्षेत्र के निवेशकों को ६,४८० करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने २३ जुलाई को बजट पेश किया था। अपने बजट भाषण में उन्होंने प्रॉपर्टी की बिक्री पर मिलने वाले इंडेक्सेशन के लाभ को हटाने की घोषणा की। इस एलान के साथ ही, पूरे देश में संपत्ति मालिकों पर लॉन्ग टर्म वैâपिटल गेन टैक्स का बोझ काफी बढ़ गया है। बजट पेश होने के बाद महज चार कारोबारी सत्रों (२३ जुलाई से २८ जुलाई) में ही रियल एस्टेट सेक्टर में लिस्टेड कंपनियों को बाजार मूल्य में ६,४८० करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, लिस्टेड शेयरों के लिए सप्ताह का अंत शुद्ध घाटे के साथ हुआ। शुक्रवार तक रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों का कुल बाजार मूल्यांकन ६.९८ लाख करोड़ रुपये था। विश्लेषकों का कहना है कि इंडेक्सेशन हटाने से निवेशकों की भावनाएं कमजोर हो सकती हैं, खासकर हाई-एंड सेगमेंट में जहां रिटर्न १० फीसदी से ११ फीसदी सालाना है। रेटिंग फर्म इंद्रा के एक विश्लेषण में कहा गया है कि सालाना १० से ११ प्रतिशत से कम अपेक्षित रिटर्न वाली संपत्तियों के लिए। निवेशकों को ज्यादा कैपिटल गेन टैक्स आउटफ्लो का सामना करना पड़ सकता है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश में कमी आएगी। इसमें कहा गया है, ‘निवेशकों की मांग में कमी से डेवलपर्स द्वारा निकट अवधि में कीमतों में बढ़ोतरी करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि निवेशक ज्यादा टैक्स आउटफ्लो के कारण बड़े एक्सपोजर से सावधान हो सकते हैं।’

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