मुख्यपृष्ठसमाचारलोकल सर्किल सर्वे में हुआ खुलासा... दाल में पानी बढ़ा!

लोकल सर्किल सर्वे में हुआ खुलासा… दाल में पानी बढ़ा!

-हर तीसरे व्यक्ति ने कम कर दिया दाल का इस्तेमाल

-सालभर में डबल हुई महंगाई की मार

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई

हिंदुस्थान में महंगाई को नियंत्रित करने में केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई है। महंगाई का सबसे अधिक असर मध्यम वर्गीय परिवारों पर पड़ा है। इसी क्रम में भोजन की थाली में नजर आनेवाली दालों की कीमतें एक साल के भीतर दोगुनी हो गई हैं। हाल ही में लोकल सर्किल में इस बात का खुलासा हुआ है कि दाल की बढ़ी हुई कीमतों से हर तीसरे व्यक्ति ने दाल का इस्तेमाल कम कर दिया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि मोदी राज में सालभर में महंगाई की मार डबल हो गई है।
बताया जा रहा है कि घरेलू बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन ने अधिकांश दालों विशेषकर अरहर दाल की खुदरा कीमतों को बढ़ा दिया है। अरहर दाल की कीमत जनवरी २०२३ में लगभग १२० रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर वर्तमान में लगभग २२० रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है। चूंकि कीमतें दाल की गुणवत्ता के अनुसार बदलती रहती हैं, इसलिए प्रीमियम और ब्रांडेड अरहर की दाल ऑनलाइन २४५ रुपए प्रति किलोग्राम की ऊंची कीमत पर बेची जा रही है।
अरहर की बढ़ी वैश्विक मांग 
हिंदुस्थान में आपूर्ति में कमी ऐसे समय में आई है, जब अरहर दाल की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है, जो मुख्य रूप से इसके स्वास्थ्य लाभों और पोषण सामग्री के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण है। खाद्य उद्योग के यूके स्थित लूपा फूड्स के अनुसार पास्ता, बेकरी आइटम और मांस विकल्पों जैसे विभिन्न खाद्य उत्पादों में दाल को शामिल करने से इस बढ़ती मांग को और बढ़ावा मिला है।
सर्वे में शामिल हुए ११ हजार नागरिक
हिंदुस्थान भर में कई घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा लोकल सर्किल पर अरहर दाल की बढ़ती कीमतों के बारे में चिंता जताए जाने के बाद यह सर्वे के जरिए यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि लोग दाल की बढ़ती लागत से वैâसे निपट रहे हैं? सर्वेक्षण को हिंदुस्थान के ३०६ जिलों में स्थित नागरिकों से ११ हजार से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुर्इं। इसमें ६४ फीसदी उत्तरदाता पुरुष थे, जबकि ३६ फीसदी महिलाएं थीं।
महंगाई की मार से बेहाल हुए लोग
दाल की बढ़ती कीमतों से निपटने को लेकर पूछे गए सवाल में ११,१९७ प्रतिक्रियाएं मिलीं। इनमें से ५७ फीसदी ने कहा कि हमने दाल का इस्तेमाल कम नहीं किया है, इसके लिए अधिक पैसे चुका रहे हैं। हालांकि, ३२ फीसदी ने कहा कि उन्होंने इसका इस्तेमाल कम कर दिया है, जबकि ११ फीसदी ने कहा कि उन्होंने कम कीमत वाले दूसरे उत्पादों पर स्विच कर दिया है। सर्वेक्षण में शामिल ४३ फीसदी हिंदुस्थानी परिवारों को दालों की कीमतों में वृद्धि की मार महसूस हो रही है।

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