सामना संवाददाता / मुंबई
रोहिणी निलेकणी फिलान्थ्रॉपीज ने भारत में वृद्धावस्था और दीर्घजीवन पर एक समग्र रिपोर्ट “Longevity: A New Way of Understanding Ageing” लॉन्च की है। डालबर्ग एडवाइजर्स और अशोका चेंजमेकर्स के सहयोग से तैयार की गई यह रिपोर्ट दीर्घायु के प्रति सोच को सिर्फ लंबे जीवन तक सीमित न रखते हुए, बेहतर जीवन की ओर केंद्रित करती है।
इस रिपोर्ट को 10 महीनों की अवधि में अग्रणी विशेषज्ञ संगठनों के साथ संवाद के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें वृद्धावस्था की अवधारणा, इसकी चुनौतियां और हस्तक्षेप के अवसरों को गहराई से समझा गया है। इसमें Carers Worldwide, WisdomCircle, Vayah Vikas, Silver Talkies, HelpAge India, Nightingale Medical Trust, AARP, GreyShades, Happy2Age, St. John’s Hospital, Tata Trusts, Khyaal, Agewell Foundation, और One Billion Literates Foundation जैसे संगठनों का योगदान रहा है। साथ ही, 15 से अधिक विशेषज्ञों के साक्षात्कार भी शामिल किए गए हैं।
द्वितीयक आंकड़ों के विश्लेषण के माध्यम से प्रमुख प्रवृत्तियों को उजागर किया गया है, साथ ही यह रिपोर्ट निष्क्रियता के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और बुजुर्गों को सशक्त बनाने के लाभों को रेखांकित करती है।
2023-24 में, भारत के बुजुर्गों ने 68 बिलियन अमरीकी डॉलर का श्रम योगदान दिया, जो भारत की GDP का 3% है। प्रतिवर्ष वे लगभग 14 बिलियन घंटे पारिवारिक देखभाल और 2.6 बिलियन घंटे सामुदायिक कार्यों में देते हैं। यदि इच्छुक बुजुर्गों को पुनः कार्यबल में शामिल किया जाए तो भारत की GDP में 1.5% की वृद्धि संभावित है।