मुख्यपृष्ठसंपादकीयरोखठोकरोखठोक : पराक्रम वास्तव में किसने किया?

रोखठोक : पराक्रम वास्तव में किसने किया?

संजय राऊत

दुनिया को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कार्रवाई की जानकारी देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कई देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजकर बहार ला दी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल रीगा, लातविया, अल्जीरिया, कोलंबिया, एग्ीra थदहा, मोनरोविया, लाइबेरिया जैसे देशों में भी गए और यहां प्रधानमंत्री मोदी सैन्य वर्दी पहनकर राजनीतिक प्रचार में व्यस्त रहे। उनके भक्तों ने मोदी की सैन्य वर्दी वाली फोटो का इस्तेमाल करके राजनीति शुरू कर दी। भारतीय न्याय संहिता सैन्य वर्दी के दुरुपयोग की अनुमति नहीं देती!

पहलगाम हमले के बाद भारतीय नेतृत्व के प्रति उठी शंकाएं चिंताजनक हैं। ‘‘हमने पाकिस्तान को सबक सिखाया और अब पाकिस्तानियों की कमर तोड़ दी है। अगर उसने फिर से आतंकी कार्रवाई वगैरह की तो हम पाकिस्तान के चार टुकड़े कर देंगे,’’ ऐसा हमारे प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री अपने भाषणों में कह रहे हैं। फिर भी पाकिस्तान अपने देश में युद्ध जीतने का जश्न मना रहा है। पाकिस्तान के भुक्कड़ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पूरे आत्मविश्वास के साथ दुनियाभर में घूम रहे हैं, इसका रहस्य क्या है? भारतीय जनता वो नहीं समझती। भारत ने दुनिया के चुनिंदा देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजा। इन देशों का और प्रतिनिधिमंडल के नेताओं का चयन जिन्होंने किया, उनका तो सम्मान ही करना पड़ेगा। भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल रीगा, लातविया, अल्जीरिया, कोलंबिया, एग्ीra थदहा, बेसिलिया, मोनरोविया, लाइबेरिया जैसे देशों में भी गया। अप्रâीका के कांगो आदि जगहों पर भी गया। ऐसा नहीं लगता कि इन सभी देशों का भारत-पाकिस्तान संघर्ष से कोई लेना-देना है। इनमें से कई देशों का नाम तो भारतीयों ने पहली बार ही सुना होगा। रूस, फ्रांस, इजिप्त, बहरीन, यूरोप और अमेरिका के देशों में भी ये प्रतिनिधिमंडल गया। लेकिन ये ‘महामंडल’ इन देशों में जाकर किससे मिला? ज्यादातर जगहों पर वहां की मौजूदा सरकारों के मुख्य लोग नहीं मिले। ये देशों के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या कैबिनेट मंत्री से भी नहीं मिले। कुछ देशों में पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद मिले, ऐसा पता चला है। कोलंबिया में ये उस देश की उप विदेश मंत्री रोसा योलांडा से मिले और उन्हें बताया गया कि भारत कितना मजबूत देश है। ५७ सांसदों ने विदेश दौरा किया, इससे देश को आखिर क्या हासिल हो गया? जिन देशों में ये सारे महामंडल गए, उनमें से कितने देश भारत के साथ खड़े हुए? एक भी नहीं। ये भारत की विफल विदेश नीति का उदाहरण है।
सब पर भारी…
‘एक अकेला सब पर भारी’ ऐसा प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कल तक कहा जाता था। मोदी अब तक २०० विदेश यात्राएं कर चुके हैं। पहले के प्रधानमंत्री जब विदेश यात्रा पर जाते थे तो उनके साथ विमान में देश के विदेश मंत्री, व्यापार मंत्री और अन्य अधिकारी ही नहीं होते थे, बल्कि सभी दलों के सांसद और मीडिया की टीम भी होती थी। प्रधानमंत्री के विमान में पूरा भारत रहता था। मैंने खुद भारतीय प्रधानमंत्रियों के साथ विदेश दौरों का अनुभव उनके विमानों से लिया है, लेकिन हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री इतने बड़े विशेष विमानों से अकेले जाते और आते हैं, इसका क्या मतलब है? लेकिन पहलगाम हमले के बाद वे भारत का पक्ष रखने के लिए विदेश नहीं गए और ५७ सांसदों को विभिन्न देशों में उन्होंने सरकार का (भारत का नहीं) पक्ष रखने के लिए भेज दिया। प्रधानमंत्री को यह समझदारी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आई। ऐसा क्या हुआ कि प्रधानमंत्री को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी देने के लिए विपक्षी दलों की मदद लेनी पड़ी। जब ‘एक अकेला सब पर भारी’ था, तब ५७ लोगों का प्रतिनिधिमंडल विदेश क्या ‘भोजन करने’ गया था? कई लोगों ने यह सवाल पूछा है। प्रधानमंत्री ने संसद के विशेष सत्र की विपक्ष की मांग को स्वीकार नहीं किया, लेकिन सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को, जिसकी मांग विपक्ष ने नहीं की थी, जगभ्रमण करने भेज दिया। इनमें से कई प्रतिनिधिमंडलों के विदेश जाकर गाने-बजाने और सुर मिलाने के वीडियो सामने आए हैं। २६ महिलाओं के माथे का ‘सिंदूर’ आतंकवादियों ने मिटा दिया। भारत पर आतंकवादी हमला हुआ। भारत ने पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का एलान कर दिया है, इसकी जानकारी देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रतिनिधिमंडल को दुनिया में भेजा। लेकिन गाने-बजाने के ऐसे ‘वीडियो’ के कारण उसकी गंभीरता कम हो गई है। एक देश में यह प्रतिनिधिमंडल एक मेज पर ‘चर्चा’ कर रहा है और भाजपा के एक सांसद हिंदी फिल्म का गाना गाकर सबका मनोरंजन करते नजर आ रहे हैं।
जेलेंस्की का मेगा शो
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद प्रधानमंत्री मोदी ‘राजनीतिक रोड शो’ कर रहे हैं और वहां इसी बीच यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध फिर से भड़क उठा है। यूक्रेन ने रूस में ४,००० किलोमीटर अंदर घुसकर रूसी एयरपोर्ट पर ४० युद्धक विमान नष्ट कर दिए। रूस का ४० हजार करोड़ का नुकसान किया। इस पराक्रम के लिए जेलेंस्की ने यूक्रेन की सड़कों पर ‘रोड शो’ नहीं किया। यूक्रेन जैसा मध्यम आकार का देश रूस और पुतिन जैसी महाशक्ति को टक्कर दे रहा है और अपने स्वाभिमान की रक्षा कर रहा है। उसने प्रे. ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को भी ठुकरा दिया। क्या हिम्मत है! और यहां प्रे. ट्रंप ने वॉशिंगटन से एकतरफा युद्धविराम की घोषणा कर दी और प्रधानमंत्री मोदी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं। लेकिन बिहार सहित अन्य राज्यों में भाजपा ने मोदी की सैन्य वर्दी में तस्वीरें, बैनर और बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाकर भारतीय सेना के पराक्रम का अपमान किया है। भारत के प्रधानमंत्री को राजनीतिक लाभ के लिए सैन्य वर्दी का इस्तेमाल करने का अधिकार किसने दिया? सैन्य वर्दी का यह इस्तेमाल गैरकानूनी है और इसे लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर अपराध दर्ज हो सकता है। भारतीय न्याय संहिता की धारा १६८ में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति, जो सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक न हो, सैन्य वर्दी पहनता है अथवा यह गलत धारणा बनाने के इरादे से कि वह भारतीय सशस्त्र सेना का सदस्य है, सेना से संबंधित कोई प्रतीक चिह्न, बैज या पदक धारण करता है तो उस व्यक्ति को तीन महीने का कारावास, २,००० रुपए जुर्माना या दोनों सजा एक साथ हो सकती है। यह कानून भारतीय सेना, सैन्य वर्दी और सैन्य चिह्नों के हर तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाया गया है। यह कानून भारतीय सशस्त्र बलों के प्रतीकों की पवित्रता भंग न हो और सेना का सम्मान बना रहे, इसके लिए बनाया गया है। कश्मीर घाटी में भारतीय जवानों और नागरिकों के बलिदान के बाद उनके नाम पर ‘सैन्य वेश’ में वोट मांगने वालों को रोकने के लिए यह सैन्य सम्मान कानून बनाया गया है। मोदी और उनके लोग सीधे इस कानून का उल्लंघन कर रहे हैं!
लेकिन सवाल कौन पूछे? मोदी पहले प्रधान सेवक बने। आतंकवादी हमलों के बाद अब वे ब्रिगेडियर, कमांडर इन चीफ बनने की कोशिश कर रहे हैं।
भारतीय सेना का इस तरह मजाकर बनाकर राजनेताओं को आखिर क्या हासिल होगा?
पराक्रम भारतीय सेना ने किया है और सेना की वर्दी में प्रधानमंत्री की तस्वीरें झलक रही हैं। यही है अंधभक्तों और मोदी का नया भारत!

अन्य समाचार