मुख्यपृष्ठनए समाचारसमंदर की गोद में समाता थाईलैंड का गांव समुत चिन!

समंदर की गोद में समाता थाईलैंड का गांव समुत चिन!

मनमोहन सिंह
बैंकॉक से लगभग ६० किमी दक्षिण में दूर समंदर के तटीय इलाके का बेहद खूबसूरत, शांतिपूर्ण और सुरम्य समुत चिन मछुआरों का गांव है। एक जमाने में यहां के झींगा मछलियों की बड़ी मांग थी, लेकिन थोड़ा करीब से देखें तो यहां की वीरानी भयानक लगने लगती है। समान दूरी पर स्थित बिजली के खंभों की एक रेखा जैसे समंदर में छेद कर क्षितिज में लुप्त हो जाती है। वह सड़क जो कभी घरों, खेतों, बाजारों और स्कूलों को जोड़नेवाले खंभों के समानांतर चलती थी, अब कहीं नजर नहीं आती, क्योंकि वह अब समंदर की गोद में समा गई है। बढ़ते ज्वार में डूबे हुए, जो कुछ बचा है वह ३० साल पहले के इस समुदाय के अवशेष हैं। कुछ घर हैं और एक मंदिर बस! इंसान सिर्फ उंगलियों में गिनने लायक।
ग्राम प्रधान विसानु केंगसामुत मीडिया को बताते हैं कि समस्या के समाधान के लिए सरकार से बार-बार आग्रह करने के बावजूद कुछ खास नहीं किया गया है। ३७ वर्षीय केंगसामुत की शिकायत है, ‘तटीय कटाव की समस्याओं के संबंध में, सरकारी एजेंसियों ने बहुत कम मदद की थी। अब भी हमें इन मुद्दों पर उनसे कोई महत्वपूर्ण सहायता नहीं मिलती है। हमारा समुदाय थाईलैंड में तटीय कटाव की सबसे गंभीर समस्या का सामना कर रहा है।’
समुत चिन के ग्रामीण वाना डेरायेन मीडिया को बताते हैं, ‘हमें समंदर लील रहा है। इस क्षेत्र के आसपास मैंग्रोव्ज हुआ करते थे, अब यह सब खत्म हो गया है। हम हर जगह पैदल चल सकते थे, अब हमें पुलों की जरूरत है। यह सब खत्म हो गया है।’ अन्य समुत चिन के निवासी दुसिता साओकेव बताते हैं कि कभी उस जीवंत गांव में आधी से भी कम आबादी बची है। कई लोगों को बार-बार अपने घरों को स्थानांतरित करना पड़ा है और बढ़ते समुद्र से दूर जाना पड़ा है। कुछ परिवारों को इस क्षेत्र को पूरी तरह से छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। कुछ लोग इतने गरीब हैं कि वे आगे नहीं बढ़ सकते या उनके पास जाने के लिए कहीं और नहीं है। समुत चिन की एकमात्र इमारत जो समुद्र की चपेट में आने से बची है, वह है एक मंदिर। सोमनुएक अथिपान्यो खुन मंदिर। इस गांव के लोगों की निष्ठा तो देखिए वे कहते हैं, ‘अगर हम नहीं रहेंगे तो लोगों को वैâसे पता चलेगा कि यह समुदाय मौजूद है? अगर कोई मंदिर नहीं है तो बाहर के लोगों को इसमें दिलचस्पी नहीं होगी और इस जगह को भुला दिया जाएगा।’ उनका यह मंदिर देश की तेजी से नष्ट हो रही तट रेखाओं को बहाल करने की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। बात सिर्फ इस गांव की नहीं है। इस देश की राजधानी बैंकॉक को भी ग्लोबल वॉर्मिंग की आंच सहनी पड़ रही है और वह भी हर दिन थोड़ा और निगला जा रहा है। बैंकॉक, केक के ऊपर टिकी हुई र्इंट की तरह दलदली भूमि पर है, जो स्पंजी और नम है। वह सारा स्टील, कंक्रीट और जीते जागते शहर को प्रति वर्ष लगभग २ सेमी, धरती में डुबा रही है। एक तेज तूफान अचानक बैंकॉक की सड़कों को तेज नदियों में बदल सकता है।

अन्य समाचार