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शर्म करो चुनाव अयोग्य! … गर्भवतियों और कैंसर पीड़ितों को भी नहीं बख्शा! … लगा दी चुनावी ड्यूटी

 हाई कोर्ट पहुंचे शिक्षक

सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र की मोदी सरकार के दबाव में काम कर रहा चुनाव आयोग पूरी तरह से ‘अयोग्य’ है। उसने अदालत के आदेश के बावजूद गर्भवती महिलाओं और वैंâसर पीड़ित व विकलांग शिक्षकों को भी नहीं बख्शा और उनकी चुनावी ड्यूटी लगा दी है। चुनाव आयोग की बेशर्मी के खिलाफ अब पीड़ितों ने एक बार फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इस कड़ी चुनावी ड्यूटी से बीमार और असक्षम शिक्षकों की हालत खराब हो गई है। मुंबई हाई कोर्ट ने २०१९ में एक आदेश जारी किया था कि वैंâसर पीड़ित, गर्भवती, स्तनपान कराने वाली माताओं और विकलांग शिक्षकों के संबंध में ड्यूटी की सख्ती नहीं बरती जाए। लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने कोर्ट की अवमानना करते हुए गर्भवती शिक्षिकाओं को भी ड्यूटी के लिए दबाव डालते हुए उन्हें नोटिस भी जारी कर दी है। इस मामले में पालघर के एक दिव्यांग शिक्षक ने कहा कि मैंने जिला कलेक्टर के माध्यम से चुनाव आयोग से संपर्क किया था, ताकि मुझे चुनावी ड्यूटी से मुक्त किया जा सके, क्योंकि मैं लंबे समय तक खड़ा या बैठ नहीं सकता। मैंने उनसे यह भी अनुरोध किया कि मुझे कोई दूरस्थ क्षेत्र न दिया जाए, लेकिन मुझे जो काम मिला, वह मेरे निवास से २५ किमी से अधिक दूर है। शिक्षकों की संस्था ‘एमएसएसकेएस’ के एक पदाधिकारी ने बताया कि हमने वैंâसर, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं, विकलांग जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित शिक्षकों को छूट देने के लिए चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा था। जब कुछ शिक्षक प्रशिक्षण सत्र में शामिल नहीं हो पाए, तो चुनाव आयोग ने प्रशिक्षण से अनुपस्थित शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है। एमएसएसकेएस के अध्यक्ष सुधीर घागस ने कहा कि जब पुराने हाई कोर्ट के आदेश से छूट प्राप्त कर्मचारियों ने जिला चुनाव अधिकारी से छूट की मांग की, तो उनकी कठिनाइयों को समझे बिना उनकी मांग को खारिज कर दिया गया। अंत में अब हमें फिर से हाई कोर्ट का रुख करना पड़ा है। जून २०१९ में हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को शिक्षकों की स्वास्थ्य स्थिति पर विचार करने और सभी सरकारी विभागों के बीच चुनाव कार्यभार को समान रूप से वितरित करने का आदेश दिया था। चुनाव आयोग द्वारा कोर्ट की अवमानना को लेकर एक शिक्षक ने फिर से हाई कोर्ट के दरवाजा खटखटाया है।

याचिका में उन्होंने चुनाव ड्यूटी से छूट देने और कर्मचारियों की समस्याओं को समझे बिना आदेश जारी करने वाले चुनाव अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। घागस ने बताया कि सोमवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा नोटिस दिए जाने के बाद चुनाव आयोग ने अपने अधिकारियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के लिए पत्र जारी किया है।

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