– इलाज कराने पहुंच रहे मरीज हो रहे बेहाल
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबईकरों को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के मुंबई महानगरपालिका के दावों की पोल कांदिवली स्थित शताब्दी अस्पताल के हालात ने खोल दी है। इस अस्पताल में पिछले तीन दिनों से बिजली नहीं है, ऐसे में डॉक्टरों को मरीजों का इलाज अंधेरे में ही करना पड़ रहा है और मरीज भी बेहाल हो रहे हैं। इससे पहले भी मनपा के कई अन्य अस्पतालों में बिजली न होने के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में मनपा की स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। फिलहाल, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बारिश के कारण तकनीकी खराबी आने से बिजली गुल है, जिसे जल्द ही दुरुस्त कर लिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि उत्तर मुंबई के मालाड, कांदिवली, बोरीवली और दहिसर के निवासी उपचार और सर्जरी के लिए कांदिवली शताब्दी अस्पताल पर निर्भर रहते हैं। पिछले दिनों मुंबई में कई दिनों तक मूसलाधार बारिश होती रही। इस कारण अस्पताल में रिसाव होने से बारिश का पानी इलेट्रिक डक्ट में घुस गया। इससे तकनीकी खामियां आ गर्इं और बीते तीन दिनों से अस्पताल में बिजली गुल है। अस्पताल में कामकाज अंधेरे में हो रहा है। इससे चिकित्सक और मरीज दोनों परेशान हैं। बता दें कि ४४४ बेड वाले शताब्दी अस्पताल में ३० आईसीयू, १६ एनसीआई, १२ पीसीआई बेड के वॉर्ड हैं, जबकि शेष सामान्य वॉर्डों का समावेश है। इस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब १,६०० मरीज इलाज कराने आते हैं। इसके साथ ही औसतन गंभीर स्थिति के चलते ३८० मरीज भर्ती भी होते हैं। इतना ही नहीं प्रतिदिन करीब २०-२५ छोटी-बड़ी सर्जरियां भी होती हैं, ऐसे में बिजली न होने से इन सभी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
अस्पताल का दावा-बिजली जाने से नहीं है कोई फर्क
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. उत्सवी घाटकर ने कहा कि मनपा में संबंधित विभाग के अभियंताओं ने कारणों का पता लगा लिया है। उनके मुताबिक, बारिश का पानी जाने से इलेक्ट्रिक सप्लाई में दिक्कत हो रही है। इसे दूर करने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया है कि दो दिनों में इस दिक्कत को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा। डॉ. घाटकर ने कहा कि फिलहाल, बिजली न होने से किसी तरह का कोई असर नहीं पहुंचा है। इमरजेंसी समेत सभी सुविधाएं बिना किसी व्यवधान के चल रही हैं।
पहले भी मनपा अस्पतालों में गुल हो चुकी है बिजली
बता दें कि मनपा के भाडुंप स्थित सुषमा स्वराज प्रसूति गृह में बिजली न होने से एक गर्भवती महिला का आपात स्थिति में मोबाइल टार्च की रोशनी में चिकित्सकों को सिजेरियन करना पड़ा था। इस कारण नवजात की मौत हो गई थी, जबकि दो दिनों के बाद महिला ने भी सायन अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इसके बाद परेल स्थित केईएम अस्पताल के वैâथलैब में भी बिजली गुल होने की खबर सामने आई थी। हालांकि, बाद में उसे ठीक कर दिया गया था।