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शिंदे की उल्टी गिनती शुरू…फडणवीस ने शुरू की दर्जनभर फाइलों की जांच!.. एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्रित्व काल में हुई थीं मंजूर

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई

‘ईडी’ २.० सरकार बनने के बाद से ही एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच दूरियां बढ़ गई हैं। दोनों एक-दूसरे को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। शिंदे को फिर से सीएम न बन पाने का मलाल है, वहीं फडणवीस धीरे-धीरे शिंदे की जड़ों में मट्ठा डालकर उन्हें कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। सीएम बनने के बाद फडणवीस ने शिंदे के मुख्यमंत्रित्व काल में पास हुए कई प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाी दी थी। इसके बाद अब खबर है कि शिंदे की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, क्योंकि फडणवीस ने शिंदे द्वारा की गर्इं करीब दर्जनभर फाइलों की जांच शुरू करवा दी है। ऐसे में शिंदे की बेचैनी काफी बढ़ गई है।
फडणवीस का कहना है कि ये परियोजनाएं अनावश्यक खर्च और दुरुपयोग का हिस्सा थीं। पैसे की बर्बादी को रोकने के लिए ही इनके ऊपर रोक लगाई गई है।
महायुति सरकार बनने के बाद एक साल के भीतर ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री शिंदे के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप कर उन्हें चुनौती दे रहे हैं। इसके तहत उन्होंने एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्रित्व काल में मंजूर कई प्रस्तावित परियोजनाओं को रोककर जांच के आदेश दिए हैं। फडणवीस का दावा है कि ये परियोजनाएं अनावश्यक खर्च और दुरुपयोग का हिस्सा थीं। इससे घाती खेमे में नाराजगी पैâल गई है। दूसरी ओर आरोप लगाए जा रहे हैं कि शिंदे ने जनता के पैसों को बर्बाद करने का काम किया है, जिसे फडणवीस ने उन पर लगाम लगाया है। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या फडणवीस शिंदे के पैâसलों पर नियंत्रण रख रहे हैं?
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्रित्व काल में मंजूर कई परियोजनाओं पर ब्रेक लगाते हुए जांच के आदेश दिए हैं। इनमें मुंबई के सड़क कंक्रीटीकरण में अनियमितता प्रमुख रूप से शामिल है। इसमें भाजपा विधायकों की शिकायत पर मनपा ने २९ इंजीनियरों को नोटिस दी गई थी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने एसआईटी जांच के आदेश दिए। इसी तरह ठाणे कोस्टल रोड प्रोजेक्ट में तत्कालीन शिंदे सरकार द्वारा दिए गए ठेके में २,००० करोड़ की लागत बढ़ाई गई। इस मामले में भी भाजपा के ही विधायकों ने विधान परिषद में जांच की मांग की। जालना के ९०० करोड़ रुपए के सिडको हाउसिंग प्रोजेक्ट में जमीन सस्ते में खरीदकर महंगे में सिडको को बेचे जाने का आरोप लगा, जिसमें फडणवीस ने जांच के आदेश दिए। पुणे रिंग रोड प्रोजेक्ट में भी तीन वर्षों में लागत २०,००० करोड़ रुपए बढ़कर ४२,७११ करोड़ हुई। फडणवीस ने इस पर भी नजर रखी है। ‘शेतकरी भवन’ योजना के तहत छह जिलों में किसानों के लिए भवन बनाने की योजना को बंद कर दिया गया। सार्वजनिक बांधकाम विभाग में घोटाला मामले में वैâग ने रिपोर्ट दी कि अधिकारियों ने सरकार का निर्णय निकालकर करोड़ों रुपए निजी खातों में ट्रांसफर किए। इसके साथ ही विभागीय शुल्क की बंदरबांट होने का आरोप लगा है। आरोप है कि सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग के अधिकारी कार्यों से मिले शुल्क में से ५० फीसदी राशि आपस में बांटते थे। शिंदे के करीबी और बिल्डर अजय आशर को ‘महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मेशन’ से हटाया गया।
एसटी बसों की खरीद की जांच
एसटी महामंडल की १,३१० बसों की खरीद में एकनाथ शिंदे के अनुमोदन से हुए टेंडर्स की फडणवीस ने जांच शुरू करवाई। मेकनाइज्ड क्लीनिंग सर्विसेस के ३,१९० करोड़ के प्रोजेक्ट को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत द्वारा मंजूर किया गया था, जिसे फडणवीस ने रोक दिया। पहले सालाना खर्च ७० करोड़ था, नई योजना में यह ६३८ करोड़ हो गया था। प्रâेंच कंसल्टेंसी कंपनी ‘सिस्ट्रा’ ने एमएमआरडीए की परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इन सभी मामलों में देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे सरकार के निर्णयों पर ‘ब्रेक’ लगाकर जांच और जवाबदेही की प्रक्रिया शुरू की है। इससे शिंदे गुट के भीतर नाराजगी पैâल गई है।

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