मुख्यपृष्ठधर्म विशेषशिव धाम है मार्कंडेय महादेव

शिव धाम है मार्कंडेय महादेव

शीतल अवस्थी

महादेव की कृपा से मौत भी टल जाती है। इसी सत्य का साक्षात प्रमाण वाराणसी से करीब ३० किमी की दूरी पर स्थित अत्यंत प्राचीन मार्कंडेय महादेव मंदिर। यह शिव का धाम है और यहां के कण-कण में भगवान भोलेनाथ समाए हैं। कैथी स्थित मार्कंडेय महादेव, मध्यमेश्वर स्थित मृत्युंजय महादेव, केदारघाट स्थित केदारेश्वर, बंगाली टोला स्थित तिलभांडेश्वर, रामेश्वर महादेव और माधोपुर स्थित शूलटंकेश्वर महादेव मंदिरों में वर्ष भर दर्शन-पूजन हेतु श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इसी तरह गढ़चिरौली से २० किलोमीटर दूर चंद्रपुर मार्ग पर चामोरसी मार्कंडेय नामक जगह पर आज भी हजारों वर्ष पुराना एक मंदिर बना हुआ है। यहां चारों ओर बिखरे छोटे-बड़े शिवलिंग और प्राचीन नक्काशीदार मंदिर आज भी पुराना इतिहास जीवित रखे हुए हैं।
भगवान शिव की कृपा से ही मार्कंडेय का जन्म हुआ था और उन्हीं की कृपा से उन्हें सप्त कल्पांत जीवन मिला। गंगा और गोमती के संगम पर बसा कैथी गांव का संबंध इसी पौराणिक घटना से है। यहां मार्कंडेय धाम से लोगों की असीम आस्था जुड़ी है। माना जाता है कि यहीं मृकंड ऋषि ने अपनी पत्नी संग तपस्या की थी। भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और यहीं उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था। शिव वरदान से उन्हें पुत्र मार्कंडेय हुआ। जब मार्कंडेय के १६ वर्षीय जीवन पूर्ण होने पर यमराज के दूत उन्हें लेने आए। मार्कंडेय शिव तपस्या में लीन थे। यमदूत का साहस नहीं हुआ उन्हें अपने संग ले जाने का। यमदूत यमराज के पास लौट आए और उसने संपूर्ण घटनाक्रम बताया। यमराज विवश थे, अत: वे बालक को लेने पृथ्वी पर आए। मार्कंडेय पूर्व की भांति शिव की तपस्या में लीन था। तब यम ने उन्हें भयभीत करना चाहा। जब यह दृश्य शिवजी ने देखा तो वे अपने इस नन्हें भक्त की रक्षा करने के लिए प्रकट हो गए। उन्होंने न केवल मार्कंडेय को भयमुक्त किया, बल्कि दीर्घायु का वरदान भी दिया। उसी घटना की स्मृति में यहां शिवजी का मंदिर है। माना जाता है कि यहां भगवान की वंदना करने से वे अकाल मृत्यु का संकट टाल देते हैं और भक्त को दीर्घायु का वरदान देते हैं।

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