मुख्यपृष्ठस्तंभलोकाधिकार को समर्थन देने वाले शिवसेनाप्रमुख

लोकाधिकार को समर्थन देने वाले शिवसेनाप्रमुख

द्वारका प्रसाद भट्ट
उत्तराखंड
सन १९९४ शायद १० अक्टूबर का दिन, पृथक उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) आंदोलन के सिलसिले में उत्तराखंड और दिल्ली से उत्तराखंड क्रांति दल के कुछ माननीय नेता मुंबई आए थे। बातचीत में उन्होंने हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे से मिलने और उनके समर्थन पाने की इच्छा जताई, जो मेरे लिए बहुत आसान नहीं था। लेकिन मैं बालासाहेब ठाकरे के एक सचिव को जानता था। मैंने उन्हें टेलीफोन किया और बताया कि उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिवसेनाप्रमुख से मिलना चाहते हैं और इस मुद्दे पर उनका समर्थन पाना चाहते हैं। उन्होंने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया और कहा कि वो साहेब से पूछ कर बताएंगे। उन्होंने मुझसे मेरा परिचय पूछा तो मैंने बताया कि मैं द्वारका प्रसाद भट्ट।
अगले दिन उनका फोन आया और उन्होंने कहा कि शिवसेनाप्रमुख ने आपको मातोश्री में बुलाया है। उनकी बात सुनकर हमें जैसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
अगले दिन हम मातोश्री पहुंचे। हमें उनके कमरे में ले जाया गया, शिवसेनाप्रमुख शांत मुद्रा में बैठे हुए थे। उन्होंने हमें बैठने को कहा, आदर के साथ। आज तक उनके बारे में सुना ही था। आज पहली बार उन्हें देख रहे थे। उनको दहाड़ते हुए ही सुना था। अत्यंत शालीनता और स्नेह से उनकी आवाज सुनकर हम अभिभूत हो रहे थे। नारियल की तरह बाहर से कठोर भीतर से मुलायम। शिष्टाचार पूर्ण होने के बाद उन्होंने सवाल किया।
`महाराज आपके उत्तरांचल में मुस्लिम गांव कितने हैं?’
`एक भी नहीं…’
`उत्तरांचल में कितने मुस्लिम रहते हैं?’
`शहर की तरफ कुछ लोग हैं… लेकिन उनकी आबादी बहुत कम है..’
`वाह…! इसलिए वह देवभूमि है’
उन्होंने चार दिन बाद हमें `दशहरा सम्मेलन’ में दादर के शिवाजी पार्क में आने के लिए कहा।
४ दिन के बाद दशहरा के दिन शिवाजी पार्क के शिवसेना के `दशहरा सम्मेलन’ में हम लोग पहुंचे। वहां से हमारी नजर जहां तक पड़ी पूरा मैदान, मैदान के बाहर और आस-पास की इमारतों में भी लोगों का जन समूह उमड़ पड़ा था। इस तरह से भगवा समंदर। स्टेज पर मैं और दिवाकर भट्ट बैठे थे और अन्य लोग सामने। शिवसेनाप्रमुख ने हमसे कहा कि हम उत्तराखंड आंदोलन के बारे में कुछ कहना चाहते हैं तो, तो कहें। हम क्या कहते हैं? द्वारका भट्ट ने मराठाओं को शुभकामनाएं दी। तकरीबन डेढ़ मिनट से ज्यादा हमने नहीं लिया। हमने शिवसेनाप्रमुख से गुजारिश की कि वे कुछ बोलें।
शिवसेनाप्रमुख ने हमारा परिचय देते हुए कहा कि ये द्वारका प्रसाद भट्ट, गागाभट्ट के वंशज हैं जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किया था। ये उत्तराखंड के हैं, इनकी पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल पृथक उत्तरांचल राज्य की मांग कर रही है और उन्हें स्वतंत्र राज्य मिलना ही चाहिए।
हमारी एक छोटी सी मुलाकात और हमारी मांग को शिवसेनाप्रमुख ने इतना भव्य रूप दे दिया कि हम अभिभूत हो गए। कितना विशाल हृदय और सोच वाले हैं ये मानव, हम सोच रहे थे उस वक्त। इतना स्पष्ट सोच रखने वाले जननायक हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे हो सकते हैं। आज उत्तराखंड एक अलग राज्य के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। हम आज भी शिवसेनाप्रमुख के उस योगदान को याद करते हैं। हिंदुत्व के पुरोधा को सादर नमन।

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