मुख्यपृष्ठसमाचाररेलवे की सुस्त चाल... ३६ महीने पीछे हैं ८४० परियोजनाएं!

रेलवे की सुस्त चाल… ३६ महीने पीछे हैं ८४० परियोजनाएं!

-रिपोर्ट में हुआ खुलासा

सामना संवाददाता / मुंबई

रेलवे द्वारा हर जोन में प्रधानमंत्री के कटआउट के साथ सेल्फी प्वाइंट बनाने में किसी भी प्रकार की देरी नहीं हुई, लेकिन वहीं जब बात रेलवे परियोजना की आती है तो वहां रेलवे की चाल सुस्त पड़ जाती है। देशभर में ८४८ रेलवे परियोजनाएं जिनमें से प्रत्येक की लागत १५० करोड़ रुपए या उससे अधिक है, वह औसतन ३६ महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि १,८२० परियोजनाओं की निगरानी की जा रही है, उनमें से ५६ परियोजनाएं आगे हैं। वही ६१८ निर्धारित समय पर हैं। करीबन ४३१ परियोजनाओं के लागत में वृद्धि की सूचना दी है और वही २६८ परियोजनाओं में अपने मूल परियोजना के संबंध में समय और लागत दोनों में वृद्धि की सूचना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ८४८ देरी से चल रही परियोजनाओं के लिए औसत वृद्धि ३६.५९ महीने है। यह रिपोर्ट सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग डिविजन द्वारा तैयार की गई एक फ्लैश रिपोर्ट के आधार पर इन आंकड़ों पर पहुंची है। रिपोर्ट में ललितपुर-सतना-रीवा-सिंगरौली रेल लाइन परियोजना का उदाहरण दिया गया है, जिसमें १६ साल से अधिक की देरी होने की उम्मीद है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला परियोजना में २० साल और १५ महीने की देरी दर्ज की गई है।
रेलवे की देरी का कहर जारी
पिछले साल रेलवे में बुनियादी इंफ्रा के विकास से संबंधित विलंबित परियोजनाओं की संख्या २०२२ में ५६ से बढ़कर २०२३ में ९८ हो गई है। २४ प्रोजेक्ट रेलवे सबसे अधिक विलंबित परियोजनाओं के मामले में दूसरे स्थान पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र पहले स्थान पर है। पिछले साल सरकार ने राज्यसभा में कहा था कि ८०० से अधिक सरकारी परियोजनाओं में देरी के कारण दिसंबर २०२२ तक लागत में ४.५ ट्रिलियन रुपए की बढ़ोतरी हुई। वही एक रिपोर्ट की मानें तो यह कहा गया है कि सरकार ने २०.४ ट्रिलियन रुपए की मूल लागत के साथ १,४३८ परियोजनाओं की योजना बनाई थी। दिसंबर २०२२ तक इनकी लागत बढ़कर २४.९ ट्रिलियन रुपए हो गई है।

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