सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड ने हाई कोर्ट में दावा किया है कि गेटवे ऑफ इंडिया के पास पैसेंजर जेटी और टर्मिनल निर्माण परियोजना भीड़भाड़ को कम करने व सुरक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का एक उपक्रम है। बोर्ड ने ऐसा कहते हुए परियोजना का समर्थन किया है।
इस परियोजना के खिलाफ क्लीन एंड हेरिटेज कोलाबा रेजिडेंट्स एसोसिएशन ने जनहित याचिका दायर की है। इस पर मैरीटाइम बोर्ड ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर अपनी स्थिति स्पष्ट की।
परियोजना का विरोध करते हुए याचिकाकर्ताओं ने गेटवे पर सुरक्षा दीवार को गिराने और परियोजना के लिए पहले से शुरू किए गए मलबे को हटाने पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि, पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
इस बीच याचिकाकर्ता अनुमति को चुनौती देने के नाम पर एक दशक से चल रही परियोजना के नीतिगत पैâसले का विरोध कर रहे हैं। बोर्ड ने हलफनामे में दावा किया है कि स्थानीय निवासियों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता व्यापक जनहित की अनदेखी कर रहे हैं और परियोजना में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं। यह परियोजना गेटवे पर नहीं, बल्कि अपोलो बंदर में रेडियो क्लब के पास है। नौसेना द्वारा सुरक्षा की चिंता जताए जाने के बाद परियोजना को संशोधित किया गया और जेटी का स्थान गेटवे से बदलकर रेडियो क्लब में तय किया गया, मैरीटाइम बोर्ड ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है। गेटवे से सटे मौजूदा पांच जेटी सौ साल से भी ज्यादा पुराने हैं और हर साल अनुमानित ३०-३५ लाख यात्रियों को संभालते हैं, जिसे संभालना मुश्किल है। उनमें से एक विशेष रूप से परमाणु अनुसंधान केंद्र के लिए आरक्षित है।
मिल गई हैं सभी अनुमतियां
बोर्ड ने हलफनामे में यह भी कहा है कि बाकी जेटी पुरानी, असुरक्षित हैं और उनमें बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। नई जेटी का उद्देश्य यात्रियों को पर्यटकों से अलग करना, वाहनों के आवागमन को सुविधाजनक बनाना और सुरक्षा को बढ़ाना है। समुद्री बोर्ड ने यह भी दावा किया है कि महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए), राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, यातायात पुलिस और पुरातत्व विरासत समिति से सभी आवश्यक अनुमतियां प्राप्त कर ली गई हैं।