नोट- फोटो न होने व इनको पहचानने केे न कारण रोकी गई है
सामना संवाददाता / मुंबई
भले ही निर्दोष लोगों की जान चली गई हो, लेकिन बेशर्म प्रशासन लोकल बढ़ाने के बजाय दिवा से CSMT लोकल शुरू करने के बारे में चुप क्यों है? प्रशासन और कितनी जानें जाने का इंतजार कर रहा है? चुनाव के दौरान इसका उद्घाटन करके आप क्या करने जा रहे हैं? क्या चुनाव आपके लिए नागरिकों की जान से ज़्यादा महत्वपूर्ण है? ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता अमोल धनराज केंद्रे ने बताया।
दिवा जंक्शन होने के बावजूद, सभी फास्ट लोकल ट्रेनें दिवा में क्यों नहीं रुकतीं? 2014 से अब तक सैकड़ों निर्दोष नागरिकों ने रेल दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाई है। हर दिन कम से कम एक की जान जाती है, उन्हें आर्थिक सहायता क्यों नहीं दी जाती? दिवा से CSMT तक फास्ट लोकल ट्रेन को रोकने की लड़ाई कई सालों से चल रही है। याचिका दायर की गई, हस्ताक्षर अभियान चलाया गया, मोर्चा निकाला गया और 7 दिनों की भूख हड़ताल की गई। उस समय नौटंकी करने वाले राजनीतिक नेता कहां थे, अगला चुनाव आने पर लोकल ट्रेन शुरू होगी। ऐसा झूठा आश्वासन राजकीय नेताओं द्वारा चुनाव आने पर दिया जाता है। लोकसभा चुनाव के दौरान सांसद ने कहा था कि लोकल ट्रेन शुरू होगी और दिवावासियों का सपना साकार होगा। उसके बाद विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने लोकल ट्रेन शुरू करने की मांग की थी। चुनाव खत्म हो गया और राजनीतिक दलों के नेता शांत हो गए। और अचानक दिवा मुंब्रा में हुई दुर्घटना के कारण सरकार जाग उठी। हर दिन निर्दोष नागरिक लोकल ट्रेन में यात्रा करते समय गिरकर मरते हैं, किसी ने उन्हें सांत्वना क्यों नहीं दी? उन्हें कोई आर्थिक सहायता क्यों नहीं दी गई? यदि 9 जून जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद सभी राजनीतिक नेता जागते हैं, तो इसे बहुत बड़ा दुर्भाग्य कहा जाना चाहिए। इसमें समय लगेगा। दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटनाओं से बचने के लिए लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ाना आवश्यक है। दिवा से सीएसएमटी लोकल ट्रेन तुरंत शुरू होने पर ही नागरिकों की जान बच सकती है। यदि विद्याविहार स्टेशन, घाटकोपर, डोंबिवली से लोकल ट्रेन शुरू हो सकती है। तो दिवा जंक्शन से क्यों नहीं? अगर हम दुर्घटना में मारे गए लोगों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैं, तो हमें लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ानी चाहिए और दिवा से सीएसएमटी लोकल ट्रेन को तुरंत शुरू करना चाहिए, अन्यथा, 21 अगस्त 2025 से दिवा शहर की माताएं, बहनें, बुजुर्ग और प्रवासी भाई उनके लिए फिर से भूख हड़ताल पर बैठेंगे, ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता अमोल धनराज केंद्रे ने बताया।