अजय भट्टाचार्य
दो साल पहले अन्नाद्रमुक और भाजपा के बीच दूरियों के पीछे एक मुख्य कारण के. अन्नामलाई को माना जा रहा है। इसलिए तमिलनाडु में फिर अन्नाद्रमुक को साथ लेने के लिए अन्नामलाई की अध्यक्ष पद से छुट्टी हो सकती है, लेकिन भाजपा सूत्रों का कहना है कि यह ‘सजा’ नहीं होगी, बल्कि जातिगत समीकरणों के कारण होगी। अगर दोनों पार्टियां २०२६ का राज्य चुनाव एक साथ लड़ती हैं, तो भाजपा नहीं चाहती कि उसका और अन्नाद्रमुक का चेहरा गौंडर हो। अन्नामलाई की तरह, अन्नाद्रमुक प्रमुख एडप्पादी के पलानीस्वामी भी शक्तिशाली पिछड़े समुदाय के साथ-साथ उसी पश्चिमी कोंगु क्षेत्र (यहां गौंडर्स का प्रभुत्व है) से आते हैं। अन्नामलाई को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में यही बात बताई गई थी, शाह द्वारा पलानीस्वामी से मुलाकात के तुरंत बाद भाजपा और अन्नाद्रमुक द्वारा पुनर्मिलन की दिशा में पहला औपचारिक कदम आगे बढ़ाया गया है।
होरट्टी नाराज
हाल ही में कर्नाटक विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों द्वारा कथित हनी-ट्रैप मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने के कारण बहुमूल्य समय की बर्बादी पर नाखुशी व्यक्त करते हुए विधान परिषद के अध्यक्ष बसवराज होरट्टी ने अपने कुछ सहयोगियों के व्यवहार पर सवाल उठाया। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि राजनीतिक नेता विधानसभा में अध्यक्ष की कुर्सी पर कागज फेंककर लोकतंत्र के मंदिर का इस तरह अपमान कर सकते हैं। खबर है कि होरट्टी अपने पद से इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं। होरट्टी ने कहा, ‘राजनीति बदल गई है। हम राजनीतिक शिष्टाचार के पुराने दिनों की तुलना वर्तमान परिदृश्य से नहीं कर सकते। मैंने कई नेताओं और विधायकों के साथ इस बारे में चर्चा की है और इस संबंध में अपना निर्णय व्यक्त किया है। कई विधायकों ने अपनी गलतियों को सुधारने का वादा भी किया है।’
दिखावा नहीं
गुजरात विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी और सेवानिवृत्त नौकरशाह नलिन उपाध्याय अब ‘समधी’ बन गए हैं। चौधरी की बेटी और उपाध्याय के बेटे ने हाल ही में एक निजी समारोह में विवाह किया। शादी के बारे में बहुत कम लोगों को पता था, क्योंकि कोई भव्य रिसेप्शन नहीं था। परिवार के एक करीबी सूत्र ने टिप्पणी की, ‘शायद बच्चे अपने माता-पिता की शक्ति का दिखावा नहीं करना चाहते थे।’
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)