मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : शाखा बनाम पेड़

झांकी : शाखा बनाम पेड़

अजय भट्टाचार्य

उत्तर प्रदेश में पिछले तीन साल से बाबाजी की सरकार अगस्त के महीने में राज्यव्यापी पौधारोपण का अभियान चलती है और जाहिर है इस साल भी यह अभियान चलेगा। लेकिन इस साल समाजवादी पार्टी ने अपने अध्यक्ष अखिलेश यादव के जन्मदिन (१ जुलाई) से एक सप्ताह तक चलने वाले वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की, जिसके पेड़ों को `पीडीए पेड़’ नाम दिया गया। अखिलेश द्वारा गढ़ा गया `पीडीए’ शब्द `पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक’ (ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक) के इंद्रधनुषी गठबंधन के लिए है। पार्टी की योजना उत्तर प्रदेश के गांवों में पीपल, बरगद और नीम के पौधे लगाने की है। पार्टी के एक नेता के अनुसार `पीडीए पेड़’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की `शाखाओं’ का मुकाबला करेगा। विचार मजबूत जड़ों वाले पौधे उगाने का है जो पर्यावरण के अनुकूल भी हों। हर `पीडीए पेड़’ के पास सामाजिक न्याय के संदेश के साथ छोटे-छोटे फलक भी लगाए जाने की योजना है। ये पौधे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में सामाजिक समानता की प्राणवायु हर दिन देंगे। वर्तमान में हर तरफ पैâले प्रदूषण को दूर करने के लिए पेड़ लगाने की आवश्यकता है, शाखाओं की नहीं। पौधे की जड़ें जब जमीन पकड़ लेती हैं, तो शाखाएं, पत्तियां, फूल, फल सब अपने आप प्राप्त होता है। इसलिए शाखाओं की नहीं, जमीन से जुड़ें पेड़ों की आवश्यकता है, मनुष्य निर्मित शाखाओं की नहीं। `पीडीए पेड़’ पौधारोपण के इस पर्यावरणीय, सामाजिक आंदोलन को उत्तर प्रदेश के गांवों से शुरू कर राष्ट्रव्यापी बनाने का प्रयास किया जाएगा।

एक बयान, दो निशान
लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर दहाड़ें मारकर रोनेवाले चौबेजी जैसे ही विषाद से उबरे, बिहार की सियासत को गरमा दिया। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे लेकर जब दिल्ली में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में जनता दल यूनाइडेट की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही थी, चौबेजी का बयान हवा में तैर रहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव का नेतृत्व भाजपा करेगी और पार्टी में आयातित नेतृत्व से काम नहीं चलेगा। चौबेजी के बयान ने एक साथ दो निशाने साधे। पहला तो अप्रत्यक्ष रूप से बिहार में राजग की कमान संभाल रहे नीतीश कुमार और दूसरा अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, दोनों को इस बयान की तीक्ष्णता का अहसास हुआ। चौबेजी का बयान बाण काम कर चुका था। जदयू की तरफ से केसी त्यागी ने चौबेजी के बयान की यह कहकर हवा निकाल दी कि चौबेजी की पार्टी के सबसे बड़के नेता कह चुके हैं कि बिहार में विधानसभा चुनाव नीतीश के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा। लेकिन फिर भी चौबेजी का बयान बिहार में सत्ता की अगुवाई कर रहे जदयू को चोट तो दे ही गया। पार्टी कार्यकारिणी में इस मुद्दे पर गरमागरम चर्चा भी हुई कि आखिर विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। भाजपा इस बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करके प्रदेश की राजनीति में अपनी पैठ बनाना चाहती है, लेकिन नीतीश कुमार के नेताओं को यह कोशिश रास नहीं आ रही। एक ओर भाजपा नेता बयान दे रहे हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव राजग भाजपा के नेतृत्व में लड़े। वहीं जदयू नेताओं का कहना है कि बिहार की राजनीति नीतीश कुमार के इर्द गिर्द घूमती है। इसलिए २०२५ का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। नीतीश कुमार राजग का चेहरा हैं। जब भाजपा के बिहारी तंबू को यह अहसास हुआ कि चौबेजी के बयान से गड़बड़ हो सकती है और न केवल बिहार बल्कि दिल्ली की भी गद्दी हिल सकती है, तुरंत सम्राट चौधरी डैमेज कंट्रोल में जुट गए। वे भाजपा की तरफदारी करने मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए। उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात करके भाजपा का पक्ष रखा। जहां तक सम्राट चौधरी की बात है, वे अपनी ही पार्टी के निशाने पर इसलिए हैं कि इस बार कुशवाहा वोट भाजपा से खिसक गया। राजद और जदयू में अपनी पारी खेलने के बाद सम्राट भाजपा में आये हैं। जाहिर है आयातित नेता का जिक्र कर चौबेजी ने सम्राट के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

अन्य समाचार