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झांकी : धर्म जीतेगा!

अजय भट्टाचार्य

शुक्रवार को तमिलनाडू स्थित रानीपेट के कनियानूर सरकारी हाईस्कूल मतदान केंद्र पर पहुंची ७४ वर्षीय बुजुर्ग महिला दुविधा में थी कि किसे वोट दें, क्योंकि उसे एक पार्टी से पैसे मिले थे, जबकि उसका दिल दूसरे उम्मीदवार पर था। अंतत: कई घंटों की उलझन और आखिरी क्षण की घबराहट के बाद उनकी अंतरात्मा की जीत हुई। दादी ने उस पार्टी को वोट दिया, जिसने उसे रिश्वत दी थी। इन सबके बावजूद उन्होंने उम्मीद जताई कि धर्म की जीत होगी। उन्हें कौन समझाए कि भगवान उम्मीदवारों की सूची में नहीं हैं!

राजपूत आंदोलन २.०
गुजरात के राजकोट लोकसभा क्षेत्र से परषोत्तम रूपाला को वापस लेने की उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिए जाने के बाद राजपूतों ने सोमवार से भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन २.० की घोषणा की है। भाजपा ने अपनी ओर से राजपूतों के साथ गतिरोध को सुलझाने के लिए गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी और सचिव (संगठन) रत्नाकर पांडे को राजकोट भेजा है। राजकोट के बाहरी इलाके सीजंस होटल में दोनों नेताओं के तत्वावधान में एक बैठक हुई। बैठक में उपस्थित अन्य लोगों में राज्यसभा सदस्य और वांकानेर शाही परिवार के केसरी देव सिंह, गोंडल के पूर्व विधायक जयराज सिंह जाडेजा, राजकोट भाजपा महासचिव वीरेंद्र सिंह जाला और मोरबी क्षत्रिय नेता नंदभाई जाला शामिल थे। बंद कमरे में हुई बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली और इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने की रणनीति बनाई गई, जिससे समुदाय के नेताओं को बढ़त हासिल करने का मौका मिले। लेकिन इस बैठक में राजपूत संगठन का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ था, जिससे भाजपा में बेचैनी है, क्योंकि इस मीटिंग से पहले वडाली में भाजपा के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन समारोह में राजपूत समुदाय के सदस्यों और पुलिस के बीच झड़प हो गई, जब कार्यक्रम से पहले एहतियात के तौर पर महाकाल सेना अध्यक्ष को गिरफ्तार कर लिया गया। वडाली में रविवार को तनाव व्याप्त हो गया था, जहां भाजपा विधायक रमनलाल वोरा और उनके समर्थक उपस्थित थे, वहीं क्षत्रिय समुदाय के नेता विश्वप्रताप सिंह कुंपावत की गिरफ्तारी पर रोष से भरे हुए थे। वे राजमार्गों पर चले गए, यातायात अवरुद्ध कर दिया और रूपाला के खिलाफ नारे लगाते हुए भाजपा कार्यालय में जमा हो गए। बैरिकेड्स को धता बताते हुए राजपूत समारोह स्थल की ओर बढ़े। एक प्रतिक्रियात्मक कदम में, वोरा खुद ही हाथापाई पर उतारू हो गए, उनकी हरकतें वैâमरे में वैâद हो गर्इं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गर्इं। विधायक वोरा और वडाली महाकाल सेना अध्यक्ष को हिरासत में लेने वाली पुलिस की हरकतों से नाराज क्षत्रिय युवा पुलिस कार्रवाई के लिए जवाबदेही की मांग करते हुए वडाली पुलिस स्टेशन पहुंचे। पुलिस द्वारा सुधारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद मामला शांत हुआ।

प्रचार से दूर भाजपा नेता
कर्नाटक भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की विफलता और एकजुटता की कमी के कारण वे चिक्कोडी लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार से दूर रह रहे हैं। इन नेताओं में पूर्व सांसद रमेश कट्टी, पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रभाकर कोरे और गोकक विधायक रमेश जारकीहोली शामिल हैं। यह एक खुला रहस्य है कि कट्टी चिक्कोडी से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन आलाकमान ने उन्हें ठेंगा दिखा दिया। अन्नासाहेब जोले को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद से कट्टी प्रचार से दूर हैं। प्रभाकर कोरे राज्यसभा में नामांकित नहीं किए जाने से पहले से ही नाराज चल रहे थे, बाकी कसर उनके बेटे अमित कोरे को चिक्कोडी से टिकट न देकर भाजपा ने पूरी कर दी। उन्हें भाजपा आलाकमान से कई उम्मीदें थीं, जिन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। इस बीच रमेश जारकीहोली चिक्कोडी में भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार करने के बजाय बेलगावी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार मृणाल हेब्बालकर को हराने में अधिक रुचि रखते हैं। कारण यह है कि चिक्कोडी में कांग्रेस उम्मीदवार उनके छोटे भाई सतीश जारकीहोली की बेटी प्रियंका जारकीहोली हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वह चुनाव प्रचार से दूर रह रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी ही भतीजी के खिलाफ प्रचार करने से बचने के लिए वे बेलगावी में टिके हुए हैं। भाजपा के हुबली-धारवाड़ विधायक महेश तेंगिंकई ने तीनों नेताओं की समस्याओं को सुलझाने और उन्हें अभियान में शामिल होने के लिए मनाने का बीड़ा उठाया, लेकिन ऐसा करने में असफल रहे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

 

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