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झांकी : धार्मिक पर्यटन

अजय भट्टाचार्य

भाजपा शासित राज्यों में इन दिनों धार्मिक पर्यटन का सत्र चल रहा है। पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष के न्योते पर तीन बसों में लदकर सभी विधायक अयोध्या में राम मंदिर देखने पहुंचे थे। अलबत्ता सपा ने यह पुण्य प्राप्त करने से परहेज किया था। लगता है उत्तर प्रदेश से प्रेरणा पाकर गुजरात के विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी के मन में भक्ति भाव जागा और उन्होंने फिलहाल अयोध्या की बजाय गुजरात में ही तीर्थ यात्रा करना उचित समझा। लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष की तरह चौधरी कम दयालु नजर आए। इसलिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल समेत सभी १५६ भाजपा विधायक आशीर्वाद लेने अंबाजी पहुंचे। यह सभी के लिए एक वीआईपी सेवा थी। इसके बाद २ मार्च को मंत्री अयोध्या जाएंगे। इस बार केवल मंत्री ही शामिल होंगे क्योंकि सभी विधायकों के लिए अयोध्या जाना चुनौतीपूर्ण होगा। चुनाव से पहले पार्टी के सदस्य धार्मिक स्थलों का दौरा कर रहे हैं। एक वरिष्ठ विधायक ने इस धार्मिक पर्यटन पर टिप्पणी की कि सरकारी खर्च पर सभी मनोरंजक यात्राएं चल रही हैं।
राजस्थान में ऑपरेशन लोटस
राजस्थान में कांग्रेस विधायक ऑपरेशन लोटस की जद में हैं। बांसवाड़ा के बागीदौरा से कांग्रेस विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय के भाजपा में जाने की अटकलें सच साबित हुई हैं। राज्य के तेज-तर्रार नेताओं में गिने जानेवाले विधायक महेंद्रजीत जमीनी नेता माने जाते हैं। इससे पहले वह कांग्रेस सरकार में वैâबिनेट मंत्री थे। उस समय उनके पास महत्वपूर्ण जल संसाधन, आईजीएनपी और जल संसाधन योजना विभाग था। बीते शुक्रवार को मालवीय दिल्ली में थे। इस दौरान उनके भाजपा में शामिल होने की पूरी पटकथा लिखी गई। पहले यह तय था कि आज यानी २० फरवरी को गृहमंत्री अमित शाह के उदयपुर में होने के दौरान महेंद्रजीत सिंह मालवीय अपने भाजपा में जाने का एलान करें। शायद मालवीय इतने बड़े नेता नहीं समझे गए कि शाह उनकी अगवानी करें। लिहाजा, भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के हाथों कल ही गले में भाजपा का पट्टा पहनकर पवित्र हो गए। बीते विधानसभा चुनाव में दिए हलफनामे के अनुसार वे किसान हैं। मालवीय लंबे अरसे से कांग्रेस से जुड़े हैं। संगठन और जमीनी स्तर पर उनकी मजबूत पकड़ है, इसी का फायदा भाजपा लोकसभा चुनाव में उठाना चाहती है। मालवीय की राजस्थान के मेवाड़ वागड़ में काफी अच्छी पैठ है, अपने साथ मिलाकर भाजपा उनका इस क्षेत्र में ही फायदा उठाना चाहती है। एक बार सांसद रह चुके मालवीय बागीदौरा विधानसभा से लगातार तीन बार से विधायक हैं। इसके अलावा वह राजस्थान कांग्रेस में पूर्व उपाध्यक्ष, जिलाप्रमुख समेत कई अन्य पदों पर जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। मालवीय के अलावा राजस्थान कांग्रेस के लालचंद कटारिया, राजेंद्र यादव, उदय लाल अनजाना और रिछपाल मिर्धा भी खुद को ईडी से बचाने के लिए पाला बदल सकते हैं।
झारखंड में झंझट
झारखंड में चंपई सोरेन की सरकार के सामने एक बार फिर मुसीबत खड़ी हो गई है। उनके मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद विभागों का बंटवारा हो गया। इसके साथ ही झारखंड कांग्रेस के विधायकों का गुस्सा भी भड़क गया। कांग्रेस के १७ विधायकों में से १२ विधायक और जेएमएम के भी कुछ विधायक नाराज चल रहे हैं। उनकी नाराजगी का मुख्य कारण मंत्रिमंडल में जगह न मिलना है। चंपई सोरेन की सरकार में कांग्रेस के उन्हीं विधायकों को जगह मिली है, जो हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री थे। झारखंड मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे से पुराने ही ४ मंत्री बनाए गए हैं। ऐसे में मंत्री बनने से चूक गए विधायक नाराज चल रहे हैं। उनका कहना है कि पुराने मंत्रियों को बदलकर नए विधायकों को मौका मिलना चाहिए। इसे लेकर कांग्रेस के नाराज १२ विधायकों ने कई बार सीक्रेट मीटिंग की। कई दौर की बैठकों के बाद १२ विधायक दिल्ली परिक्रमा पर हैं। वे कांग्रेस हाईकमान के सामने अपनी बात रखेंगे। इन विधायकों में राजेश कच्छप, जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह, अंबा प्रसाद, सोना राम सिंकू, भूषण बारा, नमन विक्सल कोंगरी, इरफान अंसारी, उमाशंकर अकेला, शिल्पी नेहा तिर्की और पूर्णिमा नीरज सिंह शामिल हैं। इस बीच झारखंड का मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार चंपई सोरेन भी दिल्ली पहुंचे हैं। जहां वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात करेंगे और राज्य में उत्पन्न राजनीतिक संकट के बारे में अवगत कराएंगे। बताया जा रहा है कि अगर कांग्रेस के नाराज विधायक मंत्री नहीं बनाए गए तो उन्होंने बजट सत्र बहिष्कार करने का एलान किया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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