अजय भट्टाचार्य
जनता की शिकायतें सुनने वाले विधायकों के पास भी जनता के खिलाफ शिकायतों का एक बड़ा जरिया है। पिछले दिनों गुजरात में चार से ज्यादा बार विधायक चुने जा चुके एक वरिष्ठ विधायक अपनी आपबीती सुना रहे थे। उनका कहना था कि लोग तभी शिकायत करते हैं जब उन्हें कोई समस्या होती है, वरना सब चलता है। लोग मौसम के हिसाब से ही शिकायत करते हैं। उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए उदाहरण दिए- गर्मियों में लोग पानी की शिकायत करते हैं। जैसे ही मानसून आता है, वे टूटी-फूटी सड़कों की शिकायत करते हैं। गर्मियों में हम उन्हें बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए तैयार रहने को कहते रहते हैं, लेकिन कुछ नहीं किया जाता। मानसून से पहले मैं उनसे उन सड़कों की सूची मांगता हूं, जिनकी मरम्मत की जरूरत है, लेकिन वे इस पर ध्यान नहीं देते। जैसे ही बारिश शुरू होती है, वे टूटी सड़कों की तस्वीरें पोस्ट करते हैं। ये वही सड़कें हैं, जिनका इस्तेमाल वे पूरी गर्मियों में करते हैं। अगर वे गर्मियों में इसकी शिकायत करते, तो मैं इनकी मरम्मत करवा देता। इसके बाद जब भी मैं उनसे मिलता हूं, वे शिकायत करते हैं कि मैंने काम नहीं किया। मतदाताओं को संतुष्ट करना मुश्किल है। बातचीत सुन रहे एक पूर्व विधायक ने कहा, ‘ये पब्लिक है, सब जानती है। जनता की शिकायत से इतर एक विधायक की अलग शिकायत है। हाल ही में एक वरिष्ठ विधायक, जो एक पूर्व मंत्री भी हैं, स्वर्णिम संकुल-१ के आसपास देखे गए, जिसमें वरिष्ठ मंत्रियों के कार्यालय हैं। मुस्कुराते हुए उन्होंने दावा किया कि वे कुछ मंत्रियों से मिलने के लिए ही वहां आए थे। गपशप करते हुए उन्होंने संभावित मंत्रिमंडल विस्तार के विषय को उठाया और स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने एक पारिवारिक छुट्टी की योजना बनाई थी, लेकिन इसे रद्द कर दिया। उन्होंने काफी उम्मीद के साथ कहा कि आपको कभी नहीं पता कि आपको कब कॉल आएगा। कुछ लोग अपने फोन को २४ घंटे अपने पास रखते हैं, बस अच्छी खबर का इंतजार करते हैं। इनकी शिकायत अच्छी खबर में हो रही देरी से है। लेकिन इन से भी अलग राज्य के विधायक, चाहे वे किसी भी पार्टी से जुड़े हों, अमेरिका के लिए वीजा फॉर्म भरने में व्यस्त हैं। एक संगठन ने केंटकी में राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन का आयोजन किया है और सभी विधायकों को आमंत्रित किया है, उनके रहने का खर्च वहन किया जा रहा है। निर्वाचित प्रतिनिधि सम्मेलन में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं, जरूरी नहीं कि सम्मेलन के लिए, बल्कि अमेरिकी वीजा पाने के अवसर के लिए। हाल ही में एक कांग्रेस और एक भाजपा विधायक को यह कहते हुए सुना गया, ‘चलो चलते हैं, कम से कम हमें अमेरिकी वीजा स्टैंप तो मिल जाएगा, जो अन्यथा मुश्किल है।
अनुभव के मायने
संसद का मानसून सत्र समाप्त हो चुका है। अपने मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों द्वारा दिए गए सुझावों पर ध्यान देते हुए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राज्यसभा में कहा कि ‘वे’ (कांग्रेस) ६० साल तक सत्ता में रहे, लेकिन अब सरकार को बता रहे हैं कि क्या करना है। सभापति जगदीप धनखड़ ने जोशी को याद दिलाया कि मौजूदा विपक्ष को उनके जितना अनुभव नहीं है कि वे उस तरफ बैठें। हंसते हुए जोशी ने कहा कि लोगों के आशीर्वाद और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हम यहां ‘सत्तापक्ष के आसन’ पर बैठेंगे। अपनी टिप्पणी यह है कि जो ६० साल तक सत्ता में रहे वे अच्छी तरह जानते हैं कि सरकार को क्या करना चाहिए। प्रह्लाद जोशी की पार्टी की सरकार १० साल तक यह नहीं समझ पा रही है कि देश वैâसे चलाया जाता है? अन्यथा हर मुद्दे के जवाब में हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे को हवा न दी जाती। वक्फ बिल भी इसी हिंदू मुस्लिम राजनीति का हिस्सा भर है जिसकी पहली परीक्षा उत्तर प्रदेश में होने वाले दस सीटों पर विधानसभा उपचुनाव में होनी है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)