कविता श्रीवास्तव
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे उच्च दर्जे के शिक्षा संस्थान में पढ़ाई करें। विद्यार्थियों की भी यही उम्मीद होती है कि वे अच्छे से अच्छे कॉलेज में दाखिला लें। अच्छे कॉलेज का चयन उसके `ग्रेड’ के आधार पर किया जाता है। देश में उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिकृत तौर पर `ग्रेड’ प्रदान करने वाली स्वायत्त संस्था है `नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल।’ पर यह खबर हमें विचलित करती है कि `नैक’ के अनेक पदाधिकारी फिलहाल सीबीआई के रडार पर आ गए हैं। उन पर शिक्षा संस्थानों को ग्रेड प्रदान करने के लिए रिश्वत के रूप में मोटी रकम वसूलने का आरोप है। `नैक’ एक स्वायत्त निकाय है, जिसकी स्थापना यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने १९९४ में की थी। इसका मुख्यालय बंगलुरु में है। इसका मूल काम है देश में उच्च शिक्षा संस्थानों के संसाधनों, सुविधाओं और व्यवस्थाओं का मूल्यांकन करना और उन्ही के आधार पर उन्हें `ग्रेड’ प्रदान करना। `नैक’ यह सुनिश्चित करता है कि उच्च शिक्षा संस्थान सभी निर्धारित मानदंडों और गुणवत्ता मानकों को पूरा करें। शिक्षा संस्थानों के प्रदर्शन और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए `नैक’ जो रेटिंग प्रदान करता है उसमें A++ और A+ ग्रेड को अच्छा माना जाता है। यही रेटिंग पाने की हर शिक्षा संस्थान की कोशिश होती है। क्योंकि ण् और D रेटिंग का मतलब अच्छा ग्रेड नहीं है। `नैक’ के पदाधिकारियों और कार्यकारी समिति में शैक्षिक प्रशासकों, नीतिकारों और वरिष्ठ शिक्षाविदों को शामिल किया जाता है। `नैक’ से मिला ग्रेड ही कॉलेज या विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि होती है। उसी के आधार पर ग्रांट भी मिलता है। `नैक’ का `ग्रेड’ संस्थान के विकास को प्रभावित करता है। यह ग्रेडिंग श्रेष्ठ कॉलेजों या विश्वविद्यालयों का अंतर तय करती है। इसीलिए उच्च गुणवत्ता वाली रेटिंग पाने के लिए `नैक’ टीम की जमकर खुशामद की जाती है। समिति के सदस्यों के आने से पहले कॉलेज को साफ-सुथरा और सुविधा संपन्न दिखाने के विशेष इंतजाम किए जाते हैं। समिति के सदस्यों की सुख-सुविधाओं का खासा ख्याल रखा जाता है। सीबीआई को शिकायतें मिली हैं कि `नैक’ द्वारा आंध्रप्रदेश के एक डीम्ड विश्वविद्यालय के लिए मान्यता ग्रेडिंग को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश की गई थी। इसके लिए १.८ करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की गई। इसमें से २८ लाख रुपए की रिश्वत ली जा चुकी है। सीबीआई की एफआईआर में `नैक’ से जुड़े कई बड़े नाम भी शामिल हैं। इस मामले में सीबीआई ने जांच और गिरफ्तारियां शुरू कर दी हैं। मामले की हकीकत बाद में सामने आ ही जाएगी, लेकिन इससे इस बात को बल मिलता है कि शिक्षा संस्थान भ्रष्टाचार के बड़े अड्डे बने हुए हैं। शिक्षा को व्यापार बना दिया गया है। वहां ज्ञान देने का नहीं बल्कि मोटी फीस वसूलकर मोटी कमाई करने का उद्देश्य होता है। यदि `नैक’ के लोग भी रिश्वत लेकर इसमें सहयोग करते हैं तो निश्चित ही इससे `नैक’ की नाक कटती है यानी उसकी गरिमा धूमिल होती है।