मुख्यपृष्ठनए समाचार‘शराब बांट’ उम्मीदवारों का टेंशन बढ़ा!

‘शराब बांट’ उम्मीदवारों का टेंशन बढ़ा!

-आबकारी शुल्क बढ़ोतरी से इच्छुकों का चुनावी बजट गड़बड़ाया

-सरकार को कमाने हैं अतिरिक्त १४ हजार करोड़

सामना संवाददाता / मुंबई

सरकार जहां लाडली बहनों को मासिक किश्त देने के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से शराब पर शुल्क बढ़ाने का निर्णय मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। सरकार के इस निर्णय से बीयर और वाइन को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की शराब महंगी हो जाएंगी और शुल्क बढ़ने से राज्य के खजाने में सालाना १४ हजार करोड़ रुपए का इजाफा होगा।
वहीं हाल ही में होने वाले स्थानीय स्वराज्य चुनाव में चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों में मायूसी छा गई है, क्योंकि शराब पर शुल्क बढ़ने से चुनाव में तथाकथित रूप से बांटी जाने वाली शराब का खर्च बढ़ेगा, जिसके कारण चुनाव खर्च का बोझ उम्मीदवारों पर पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर शराबियों की पत्नियां इसलिए खुश है कि शराब की कीमत बढ़ने से उनके पति कम शराब पीएंगे, जिससे घर में शांति बनी रहेगी।
बता दें कि आबकारी विभाग का राजस्व बढ़ाने के लिए सचिव स्तर का अध्ययन समूह बनाया गया था। इस समूह ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी। इसके अनुसार राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को आबकारी शुल्क दरों में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी। इस साल शराब पर आबकारी शुल्क और बिक्री शुल्क से राज्य के खजाने में सालाना ४३ हजार करोड़ रुपए का राजस्व आने की उम्मीद थी। अब इसमें १४ हजार करोड़ रुपए और जुड़ने की संभावना है। भारत में निर्मित विदेशी शराब पर आबकारी शुल्क की दर जो २६० रुपए प्रति बल्क लीटर घोषित की गई थी, उसे उत्पादन मूल्य के ३ गुना से बढ़ाकर साढ़े चार गुना कर दिया गया है। देशी शराब पर आबकारी शुल्क १८० रुपए से बढ़ाकर २०५ रुपए प्रति प्रूफ लीटर कर दिया गया है।

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