मुख्यपृष्ठनए समाचारस्वच्छता और सफाई में पीछे हुई देश की आर्थिक राजधानी ...राज्य में...

स्वच्छता और सफाई में पीछे हुई देश की आर्थिक राजधानी …राज्य में ३७ नंबर पर मुंबई!

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र के अंतर्गत स्वच्छता और सफाई को लेकर १० लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में किए गए सर्वेक्षण रिपोर्ट की रैंकिंग में मुंबई ३७ वें स्थान पर है। राष्ट्रीय स्तर पर तो यह रैंकिंग और नीचे गिरकर १८९वें स्थान पर पहुंच गई है। राज्य में १० लाख से ज्यादा आबादी वाले सभी शहरों में मुंबई की रैंकिंग एक खतरे की घंटी है। वैश्विक महानगर और देश की वित्तीय राजधानी मुंबई की इस रैंकिंग ने प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठा दिया है। प्रजा संस्था की ओर से जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी सांझा की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को पर्याप्त संख्या में सार्वजनिक शौचालय सीटों की सुविधा उपलब्ध कराने में भी मुंबई काफी पीछे है। औसत रूप से देखा जाए, तो चार सार्वजनिक शौचालय सीटों में से सिर्फ एक शौचालय सीट की सुविधा महिलाओं के लिए उपलब्ध है। उधर, जल प्रदूषण का उच्च स्तर भी शहर के चारों ओर की समृद्ध समुद्री विविधता के लिए एक बड़ा खतरा है।
गत २ सालों से मनपा में बिना नगरसेवकों के ही काम हो रहा है। नगरसेवक मुद्दों को उठाने और उन्हें दूर करने के लिए कनेक्टिविटी के पहला बिंदु हैं। मनपा ने नगरसेवक नहीं होने से तमाम समस्याएं हुई हैं। ऐसा आरोप पूर्व नगरसेवकों ने लगाया है। बता दें कि साल २०२३ के सर्वेक्षण में मुंबई को स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय सुविधाओं में ९० प्रतिशत अंक के साथ खुले में शौच मुक्त क्षेत्र का दर्जा दिया गया।
‘प्रजा’ फाउंडेशन ने ‘मुंबई में जन समस्याओं की स्थिति पर रिपोर्ट-२०२४’ प्रकाशित की। मुंबई में स्वच्छता एवं प्रदूषण के मुद्दों पर विशेष ध्यान देते हुए यह रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में मुंबई के सार्वजनिक शौचालयों, सामुदायिक शौचालयों और जल एवं वायु प्रदूषण के स्तर से संबंधित उन सभी मुद्दों को उजागर किया गया है, जो मुंबईकरों की सेहत के साथ-साथ जीवन के मौलिक अधिकार को प्रभावित करते हैं। महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय सीटों की सुविधा उपलब्ध औसत रूप से देखा जाए तो चार सार्वजनिक शौचालय सीटों में से सिर्फ एक शौचालय सीट की सुविधा उपलब्ध है। मरीन लाइन्स, चीरा बाजार, गिरगांव में असंतुलन की स्थिति सबसे चिंताजनक है।
इस बारे में प्रजा फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिलिंद म्हस्के ने कहा कि मुंबई को ‘सपनों का शहर’ कहा जाता है। देशभर के लोग आय की बेहतर संभावनाओं और बेहतर जीवन के लिए मुंबई की ओर आशा भरी निगाहों से देखते हैं। उन्होंने कहा कि इस शहर में लगभग १.९२ करोड़ लोग रहते हैं, साथ ही ८० लाख से ज्यादा लोग अपनी आर्थिक और शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करने के लिए हर दिन इस शहर में आते हैं। इतनी बड़ी आबादी के लिए स्वच्छ एवं स्वस्थ शहरी जीवन बेहद जरूरी है।
जल प्रदूषण भी कम नहीं हैइसी के साथ मुंबई के तटीय इलाकों के पानी में प्रदूषण का गंभीर स्तर दर्ज किया गया है। मुंबई में गंदे पानी के लिए लगे सात एसटीपी प्लांट के बावजूद मुंबई के सभी समुद्र तट पर प्रदूषण अधिक है। जल प्रदूषण का उच्च स्तर शहर के चारों ओर की समृद्ध समुद्री विविधता के लिए एक बड़ा खतरा है, जो आर्थिक उद्देश्यों या मनोरंजन हेतु समय बिताने के लिए के लिए समुद्र तट पर जाते हैं। उनके लिए भी खतरा है।

अन्य समाचार