मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनाशमा दिल की जलानी है

शमा दिल की जलानी है

किसी को चाहना हो तो शमा दिल की जलानी हैl
उसे भी प्यार आ जाए तो वफा ऐसी दिखानी हैll
तुम्हें ही देख जीते हैं तुम्हें ही देख मरते हैं l
जहां में खूब सूरत हैं कई तेरा न सानी है ll
मुझे कैसी मोहब्बत है जिसे समझा नहीं पाती l
बही खाता नहीं है ये वफा कैसे गिनानी हैll
नहीं हो पायगा हमसे जमा पूंजी का बंटवारा l
कैसे सीख पाएंगे मोहब्बत भी घटानी हैll
मिरी चाहत तिरी बेताबियां खामोश क्यूं कर हैं l
अभी तो बात सारी ये जहां भर को बतानी हैll
बहारों के झरोखों से फिजां भी झांकती क्यूं है
बुढ़ापा आएगा एक दिन अभी तो बस जवानी हैll
सुहानी चांदनी रातों में कनक क्या ढूंढ़ती हो तुम l
इसे ना भूलना तुम अब वफा तुमको निभानी है ll
डॉ. कनक लता तिवारी

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