सामना संवाददाता / मुुंबई
मुंबई के संजय गांधी नेशनल पार्क एसजीएनपी में ५,००० से ज्यादा परिवारों को वन विभाग ने बेदखली का नोटिस भेज दिया है, लेकिन सरकार अब तक इनके पुनर्वास की कोई ठोस योजना नहीं बना पाई है। मुंबई हाई कोर्ट ने १४ जनवरी २०२५ को आदेश दिया कि एसजीएनपी में अवैध कब्जे हटाए जाएं, लेकिन यह आदेश जारी करने से पहले सरकार से पुनर्वास को लेकर कोई ठोस प्लान नहीं मांगा गया।
१९९७ में हाई कोर्ट ने ही पात्र झुग्गीवासियों का पुनर्वास करने का निर्देश दिया था, जिसके तहत २५,१४४ परिवारों ने ७,००० रुपए की राशि जमा की, लेकिन आज भी १३,७६४ परिवार घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं। प्रशासन ने पुनर्वास प्रक्रिया अधूरी छोड़ दी, लेकिन अब गरीबों को हटाने की तैयारी में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार की लापरवाही का खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ रहा है, जिनका भविष्य अब अंधकार में है। सवाल यह भी उठता है कि यह जंगल बचाने की मुहिम है या फिर बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की साजिश? एसजीएनपी की जमीन पर बड़ी कंपनियों की नजर सालों से हैं और पहले भी जंगलों के आस-पास कमर्शियल प्रोजेक्ट्स को छूट दी गई है।