मुख्यपृष्ठसमाचारवसई-विरार में गंदगी व मच्छरों का साम्राज्य

वसई-विरार में गंदगी व मच्छरों का साम्राज्य

-बीमारी बांट रहे अस्पताल!

मरीज हो रहे हैं हैरान-परेशान…बीमारियां फैलने की आशंका

राधेश्याम  सिंह / वसई 

वसई-विरार शहर में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिसकी वजह से मच्छर पैदा हो रहे हैं। इन मच्छरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि नागरिकों का जीना दुश्वार हो गया है। लोगों के घरों, मैदानों यहां तक कि अस्पतालों में मच्छरों का आतंक फैला हुआ है। इन मच्छरों से सरकारी अस्पताल ही नहीं, बल्कि प्राइवेट अस्पताल भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। अस्पतालों में भर्ती मरीज और उनके परिजन मच्छरों से परेशान हो गए हैं। इनका कहना है कि इलाज कराने आया मरीज ठीक होने के बजाय बीमार होकर अस्पताल से निकलेगा। इन सभी ने शंका जाहिर की है कि मच्छरों के बढ़ते प्रकोप की वजह से शहर में डेंगू और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियों का ग्राफ न बढ़ जाए।
 स्वास्थ्य विभाग बरत रहा लापरवाही
बता दें कि स्वास्थ्य सेवा की बेहतरी के लिए मनपा हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन दुर्भाग्य से स्वास्थ्य सेवा में बेहतरी के बजाय और गिरावट देखने को मिल रही है। स्वास्थ्य विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी नागरिकों की इन समस्याओं से शायद बेखबर हैं। ठेकेदारों के आगे नतमस्तक ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को नींद से जगाने व नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक समाजसेविका जया परमार ने इस बाबत मनपा आयुक्त अनिल कुमार पवार को शिकायत करते हुए बताया कि वसई-विरार शहर महानगरपालिका क्षेत्र में स्वास्थ्य को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
समस्या के आगे प्रशासन हुआ बौना
लगभग ३० लाख की जनसंख्या वाली वसई-विरार महानगरपालिका नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा देने में असफल नजर आ रही है। मच्छरों के बढ़ते आतंक को स्वास्थ्य विभाग नजरअंदाज कर रहा है। संबंधित विभाग के अधिकारियों को नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रशासन नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह नजर आ रहा हैै।
भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाएं करोड़ रुपए
मनपा ने वर्ष २०२२-२३ में २३० करोड़ रुपए स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च किया था। इसी प्रकार वर्ष २०२३-२४ में भी ३६६ करोड़ रुपए स्वास्थ्य के लिए अनुमानित खर्च का अंदाज बताते हुए २४६. ८४ करोड़ रुपए का सुधारित बजट पास किया है। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इन पैसों से काम अच्छा हुआ तो शहर की स्थिति बदल जाएगी, लेकिन भ्रष्ट अधिकारी ऐसा नहीं होने देंगे। इसमें से लाखों रुपए तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएंगे।

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