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महाराष्ट्र के स्कूलों में गिरा शिक्षा का स्तर … १२वीं के छात्रों को नहीं आता भाग! … ‘असर’ की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

सामना संवाददाता / मुंबई
देशभर में शिक्षा की स्थिति सामने रखने वाले ‘एनुअल स्टेटस ऑफ एजुुकेशन’ (असर) के सर्वे में इस साल भी राज्य में शैक्षणिक संकट का खुलासा हुआ है। इस सर्वे में पाया गया है कि १२वीं में पढ़ाई करनेवाले लगभग ६८ प्रतिशत छात्रों को भाग आता ही नहीं है। इसी तरह दूसरी कक्षा स्तर पर हुए सर्वे में मराठी में अनुच्छेद करीब २१ प्रतिशत छात्र नहीं पढ़ सके, जबकि लगभग ३९ प्रतिशत छात्र अंग्रेजी के वाक्य नहीं पढ़ सके। शैक्षणिक प्रवाह, शाखा चयन के प्रति छात्रों की प्रवृत्ति की भी जांच की गई है, जिसमें पाया गया कि कौशल विकास पाठ्यक्रम छात्रों द्वारा पसंद नहीं किए गए हैं। कुल मिलाकर इस बार भी ‘असर’ की रिपोर्ट शिक्षा में गिरावट दर्शा रही है, जो घाती सरकार की पोल खोल रही है। साथ ही इस सरकार द्वारा प्रदेश में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए की जा रही सभी कोशिशें बेकार साबित हो रही हैं।
प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन ने बुधवार को देशभर में आयोजित ‘असर’ सर्वेक्षण के नतीजे घोषित किए। इस वर्ष सर्वेक्षण केवल राज्य के नांदेड़ जिले में किया गया था। ‘असर’ की इस साल की १५वीं रिपोर्ट है, जिसने राज्य की शैक्षणिक गिरावट का सबूत दिया है।
इस तरह रहा सर्वेक्षण
इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, ८वीं से १०वीं तक के १४ से १६ उम्र के ७६.४ प्रतिशत और १२वीं के ७९ प्रतिशत छात्र दूसरी कक्षा में पढ़ाई जानेवाले मराठी गद्यांश को पढ़ने में सक्षम थे। ८वीं से १०वीं कक्षा के केवल ३५.७ प्रतिशत छात्र और ११वीं और १२वीं कक्षा के ३२.१ प्रतिशत छात्र ही तीन अंकों की संख्या को एकल अंक वाली संख्या से विभाजित करने में सक्षम पाए गए। इन छात्रों को ८८३ को ७ से विभाजित करने और ५३७ को ४ से विभाजित करने का सवाल दिया गया था। ८वीं से १०वीं कक्षा के ५०.६ प्रतिशत और ११वीं से १२वीं कक्षा के ६०.८ प्रतिशत छात्र ही अंग्रेजी के सरल वाक्य और प्रश्न पढ़ पा रहे थे। ये छात्र अंग्रेजी पढ़ तो पा रहे थे, लेकिन उन्हें समझ में नहीं आ रहा था।
अंग्रेजी बनी जी का जंजाल
अंग्रेजी और गणित कौशल की तुलना में मराठी अनुच्छेदों को पढ़ने वाले छात्रों का प्रतिशत अच्छा है, लेकिन पढ़े गए पाठ के अर्थ को समझ कर उसकी व्याख्या करनेवाले छात्रों का प्रतिशत कम है। ८वीं से १०वीं कक्षा के लगभग ४० प्रतिशत और १०वीं और १२वीं कक्षा के ३० प्रतिशत छात्र ओआरएस का उपयोग करने के निर्देशों को पढ़ने के बाद पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं दे सके। लंबाई, वजन, गणना, समय की गणना जैसे गणित के प्रश्नों को हल न कर पाने वाले ८वीं से १२वीं तक के छात्रों का प्रतिशत भी ५० से अधिक रहा है।
स्मार्टफोन का व्यापक उपयोग
इस सर्वे के मुताबिक, १४ से १६ साल की उम्र के १५.१ फीसदी छात्रों और १७ से १८ साल की उम्र के ४२.६ फीसदी छात्रों के पास अपना स्मार्टफोन है। ऐसे छात्रों का अनुपात जो फोन का उपयोग कर सकते हैं, भले ही उनके पास अपना फोन न हो, क्रमश: ९०.४ और ९५.६ प्रतिशत पाया गया है। ९० प्रतिशत से अधिक छात्र सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।

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