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पश्चिमी अफ्रीका के सिएरा लियोन की बदनसीबी … जलवायु परिवर्तन ने नागरिकों को गुलाम बना दिया!

मनमोहन सिंह
२७ साल की फातिमा (बदला हुआ नाम) ने सुबह उठकर उसने सारे कमरों की साफ-सफाई कर दी थी। दिन के १२ बज चुके थे, लेकिन अभी तक उसे सुबह की चाय नहीं मिली थी। नाश्ते की बात दूर थी, लेकिन अब वह इसकी आदी हो चुकी थी। उसे पता था कि ३ बजे कल का बासी भोजन मिलेगा, उसे खाने के बाद गोडाउन साफ करना था। सुबह ४ बजे उठना और रात को १२ बजे के बाद तक काम करना उसकी दिनचर्या बन चुकी थी। हमेशा की तरह वो आज गोडाउन पहुंची। उसने दरवाजा बंद किया और साफ-सफाई करने लगी, तभी दरवाजा खटखटाया गया। उसे आश्चर्य हुआ, क्योंकि अमूमन इस वक्त उस तरफ कोई नहीं आता है। उसने दरवाजा खोला तो तीन लोग भीतर घुसे। वो तीनों को जानती थी। वे लोग वहीं के थे, जहां पर वह काम कर रही थी। उन्होंने दरवाजा बंद किया। उसमें से एक ने उसका हाथ पकड़ लिया और दूसरा उससे जबरदस्ती करने लगा। उसने जोर से चिल्लाने की कोशिश की तो एक आदमी ने गले पर चाकू रख दिया और कहा कि अगर चिल्लाने की कोशिश की तो गला काटकर फेंक दिया जाएगा।
पश्चिमी अप्रâीका के एक देश सिएरा लियोन से लगभग ७,००० किलोमीटर दूर ओमान में फातिमा के पास उनका शिकार बनने के अलावा कोई चारा भी नहीं था। ३ महीना पहले वो अपने गरीब देश से अमीर देश ओमान नौकरी करने आई थी। सिएरा लियोन की राजधानी प्रâीटाउन में जब वो प्लेसमेंट एजेंट से मिली थी तो उसे उसने बड़े सुनहरे ख्वाब दिखाए थे। फातिमा को बताया गया कि उसे ओमान के मॉल में सेल्स गर्ल की नौकरी मिलेगी और बढ़िया तनख्वाह भी। जब वो ओमान पहुंची तो उसे मॉल की जगह एक घर में भेज दिया गया, जहां उसे घरेलू नौकर के रूप में काम करना था। शुरुआत में उसे कम से कम भोजन और आराम करने का वक्त मिलता था, लेकिन धीरे-धीरे वो इनसे महरूम होती चली गई। जब पैसे मांगती तो कहा जाता कि वो खरीदी गई है। वो गुलाम है, उसे पैसे क्यों दिए जाएं। वो कहीं जा भी नहीं सकती थी, क्योंकि आते ही उसका पासपोर्ट उससे छीन लिया गया था।
ओमान ही नहीं कुवैत, लेबनान, दुबई और तुर्की सहित कई देशों सिएरा लियोन के नागरिक गुलाम जैसा जीवन बिता रहे हैं। अधिकतर महिलाओं को एजेंट नैनी, हेयरड्रेसर, मेड, सेल्स पर्सन के रूप में नौकरियां दिलाने का प्रलोभन देते हैं। जब अच्छी नौकरी का ख्वाब संजोए लोग गंतव्य देश में पहुंचते हैं तो अक्सर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते हैं और उन्हें लोगों के घरों में अवैतनिक नौकरी के लिए मजबूर किया जाता है। कई युवा महिलाओं का यौन शोषण भी किया जाता है।
सिएरा लियोन में जलवायु परिवर्तन की मार के चलते सबसे गरीब समुदाय लंबे समय से मानव तस्करों का शिकार रहे हैं। हालात धीरे-धीरे और भी बदतर होते जा रहे हैं। १९५० के बाद से वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के मामले में सिएरा लियोन का हिस्सा सिर्फ ०.००३ प्रतिशत है। सिएरा लियोन का नंबर जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील देशों में शीर्ष १० प्रतिशत में है। एक तिहाई आबादी तट पर रहती है, जिससे उनके घर भीषण बाढ़ के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। देश के कुछ द्वीप पानी के नीचे जा रहे हैं, जिससे निवासियों को लगातार सिकुड़ते रेत के तटों पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। एडवोकेसी नेटवर्क अगेंस्ट इर्रेगुलर माइग्रेशन (एएनएआईएम) चलाने वाले शेकु बंगुरा की रिपोर्ट बताती है कि बाढ़ या भूस्खलन से घरों के नष्ट हो जाने के बाद तस्करी के शिकार हुए लोगों की संख्या में `गंभीर वृद्धि’ हुई है। फातिमा जैसे तस्करी का शिकार हुए कई लोगों को वापस अपने देश में लाने का काम यह संस्था कर रही है।

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