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केंद्र के अड़ियल रवैये ने ड्राइवरों को किया हड़ताल को मजबूर!

सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार ने ‘हिट एंड रन’ मामले में नया कानून बनाया है। इसका कई राज्यों में ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स विरोध कर रहे थे। साथ ही नए कानून को पारित न करने की मांग भी कर रहे थे, जिसको केंद्र सरकार शुरुआत से ही हल्के में ले रही थी। उसके इसी अड़ियल रवैये के कारण कल ड्राइवरों को हड़ताल और चक्का-जाम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब परिस्थिति ऐसी हो गई है कि यह हड़ताल हिंसक रूप ले चुका है।
इस नए कानून में १० साल की सजा और सात लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। केंद्र के इस दमनकारी कानून पर ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस समेत देशभर के तमाम राज्यों के ट्रक ड्राइवर्स एसोसिएशन ने जमकर विरोध करना शुरू कर दिया है।
ट्रक ड्राइवरों के मुताबिक, नए कानून का क्रियान्वयन होने के बाद उन्हें मजबूरन नौकरी छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। संगठन के अमृतलाल मदान के मुताबिक, देशभर में कानून में संशोधन से पहले स्टॉक होल्डर्स से सुझाव नहीं लिए गए। इसके साथ ही प्रस्तावित कानून में कई तरह की गलतियां हैं। ड्राइवरों की परेशानी की तरफ मोदी सरकार का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। देशभर में पहले से ही २०-३० फीसदी ट्रक ड्राइवरों की कमी थी और इस कानून के लागू होने से यह कमी और बढ़ जाएगी। देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान रोड ट्रांसपोर्टर्स और ड्राइवरों का होता है।
एआईएमटीसी का कहना है कि देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है। इसके कारण मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती और ड्राइवर को दोषी करार दिया जाता है। दुर्घटनास्थल से भागने की किसी ड्राइवर की मंशा नहीं होती है, लेकिन आसपास जमा भीड़ से बचने के लिए ऐसा करना पड़ता है। देश में लगभग ९५ लाख ट्रकों के माध्यम से करोड़ों लोगों के लिए रोजगार पैदा होता हैं। इस तरह का एकतरफा और बिना सोचे-समझे प्रावधान ट्रक ड्राइवरों को हतोत्साहित कर रहा है।

 

पहले यह था कानून
पहले आईपीसी की धारा २७९ (लापरवाही से वाहन चलाना), ३०४ए (लापरवाही के कारण मौत) और ३३८ (जान जोखिम में डालना) के तहत केस दर्ज किया जाता है। इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है।

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