सुरेश गोलानी / मुंबई
लगता है ‘ईडी’ सरकार की संवेदनाएं पूरी तरह से मर गई हैं। उसकी असंवेदनशीलता को उजागर करने वाला एक और नया मामला सामने आया है। मीरा-भाईंदर के गोल्डन नेस्ट स्थित मनपा क्रीड़ा संकुल (स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स) के स्विमिंग पूल में डूबने से ११ वर्षीय ग्रंथ मुथा की मौत हो गई थी। इस दर्दनाक घटना के डेढ़ महीने बाद भी शोकाकुल माता-पिता अपने बेटे के लिए इंसाफ और मृत्यु प्रमाण पत्र (डेथ सर्टिफिकेट) के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। घटना २० अप्रैल सुबह लगभग १०.३० बजे की है, जब स्व. गोपीनाथ मुंडे क्रीडा संकुल के स्विमिंग पूल में एक निजी संस्था द्वारा आयोजित समर वैंâप में तैराकी सीखते समय ग्रंथ की डूबने से मौत हो गई थी।
मनपा और वार्ड ऑफिस का चक्कर
घटना के डेढ़ महीने बाद भी ग्रंथ के माता पिता अपने बेटे के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए मनपा मुख्यालय और वार्ड ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं।
मनपा और वार्ड ऑफिस का चक्कर
घटना के डेढ़ महीने बाद भी ग्रंथ के माता पिता अपने बेटे के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए मनपा मुख्यालय और वार्ड ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं।
न्याय से वंचित
ग्रंथ के परिवार ने इस प्रमाण पत्र को लेने से साफ इनकार कर दिया, क्योंकि इस प्रकार की गलत जानकारी का आधार लेकर आरोपी कानून को गुमराह कर उन्हें न्याय मिलने से वंचित रख सकते हैं।
स्विमिंग पूल की मौत को अस्पताल में दिखाया!
मीरा-भाईंदर स्थित मनपा क्रीड़ा संकुल के स्विमिंग पूल में डूबने से ११ वर्षीय बच्चे ग्रंथ मुथा की मौत हो गई थी। इस दर्दनाक घटना के डेढ़ महीने बाद भी शोकाकुल माता-पिता अपने बेटे के लिए इंसाफ और मृत्यु प्रमाण पत्र (डेथ सर्टिफिकेट) के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। इस मामले में जब ‘दोपहर का सामना’ संवाददाता ने उपायुक्त प्रसाद शिंगटे से बात की तो उन्होंने कहा ‘मनपा, ग्रंथ के परिवार के साथ है और उन्हें तकलीफ देने का सवाल ही नहीं उठता। ‘फॉर्म ४ ए’ में अस्पताल को मृत्यु का स्थान दर्शाया गया था, जिसके आधार पर संभवत: प्रमाण पत्र में भी वही स्थान अंकित हुआ हो। जैसे ही अस्पताल से सुधारित फॉर्म आ जाता है, मैं खुद ये सुनिश्चित करूंगा कि प्रमाण पत्र जल्द से जल्द जारी हो’।
‘फॉर्म ४ ए’ मृत्यु पंजीकरण के लिए एक आवश्यक दस्तावेज है। ज्ञात हो कि ग्रंथ के पिता हसमुख मुथा ने प्रशिक्षित जीवन रक्षक और उचित जीवन रक्षक व्यवस्था प्रदान करने में लापरवाही और उदासीनता को अपने बेटे की मौत का कारण बताते हुए मनपा प्रशासन को दोषी ठहराया, जिसके बाद पुलिस ने चार प्रशिक्षकों सहित ठेकेदार साहस चैरिटेबल ट्रस्ट और प्रबंधन से जुड़े लोगों के खिलाफ उनकी लापरवाही से बच्चे की मौत का मामला दर्ज किया। दूसरी तरफ मनपा ने अतिरिक्त आयुक्त के नेतृत्व वाली समिति गठित कर जांच शुरू कर दी। समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रशासन के आला अफसरों को पिछले महीने ही सौंप दी थी। इसके बावजूद ठेकेदार और व्यवस्थापक के खिलाफ अब तक किसी प्रकार की ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।