-७५ खतरनाक और ४५ अति खतरनाक श्रेणी में
सामना संवाददाता / मुंबई
मानसून के दौरान हर साल मुंबई में खतरनाक इमारतों के साथ-साथ भूस्खलन का मुद्दा सामने आता है। विभिन्न इलाकों में पहाड़ियों की ढलानों पर करीब २७९ ऐसे भूस्खलन पाए गए हैं। विक्रोली, घाटकोपर और मानखुर्द में पहाड़ियों की ढलानों पर सैकड़ों झोपड़ियां भूस्खलन की छाया में हैं।
इस बीच पिछले साल नगरपालिका द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इनमें से ७५ स्थान खतरनाक हैं और ४५ स्थान अतिखतरनाक वाली श्रेणी में हैं। घाटकोपर में असल्फा गांव, एंटॉप हिल, चेंबूर-वाशीनाका, विक्रोली पार्कसाइट, भांडुप, चूनाभट्टी-कुर्ला में विशाल कसाई वाड़ा आदि जगहों पर पहाड़ियों के पास हजारों झोपड़ियां हैं। कुछ मिट्टी से बनी और कुछ कंक्रीट से बनी ये झोपड़ियां कई सालों से एक-दूसरे पर खड़ी हैं।
मनपा के नोटिस की अनदेखी करते हैं निवासी
मानसून का मौसम जब आता है, तब मनपा के अधिकारी झोपड़ियों पर नोटिस चिपका देते हैं कि यहां रहना खतरनाक है और उन्हें तुरंत स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, कोई वैकल्पिक स्थान न होने के कारण निवासी अपनी जान हथेली पर रखकर यहां रहते हैं। हालांकि, अगर कोई दुर्घटना होती है तो जान-माल का नुकसान होता है।
बैठक में मास नेट लगाने का निर्णय
मानसून के मौसम से पहले भूस्खलन स्थलों पर दीवारें बनाने, रस्सियां लगाने और मिट्टी के कटाव को रोकने जैसे उपाय किए जाते हैं। साथ ही भूस्खलन स्थलों पर सुरक्षात्मक बाड़ों से पानी निकालने वाले छेद अगर मिट्टी या किसी और के कारण अवरुद्ध हो जाते हैं तो उन्हें साफ किया जाता है। भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्रों में मास नेट लगाने का निर्णय मुंबई उपनगरीय नियोजन समिति की बैठक में लिया गया है। म्हाडा नौ मीटर से कम ऊंची दीवारों वाले क्षेत्रों में मास नेट लगाएगा, जबकि नौ मीटर से अधिक ऊंची दीवारों वाले क्षेत्रों में मास नेट लगाने का काम लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा।