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शिवराज के विदिशा में 15 साल से नहीं हैं एमडी डॉक्टर…चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के हवाले पंचकर्म चिकित्सा

दीपक तिवारी / विदिशा

मध्य प्रदेश के अधिकांश सरकारी आयुर्वेदिक औषधालय डॉक्टर, कर्मचारियों और अन्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते मरीज आयुर्वेदिक चिकित्सा का पर्याप्त लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय क्षेत्र विदिशा के जिला स्तरीय आयुर्वेदिक औषधालय (आयुष विंग) में पिछले 15 साल से एमडी चिकित्सा विशेषज्ञ का पद खाली है, जिससे पंचकर्म चिकित्सा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश समेत विदिशा जिले के आयुर्वेदिक औषधालयों में कई वर्षों से आयुर्वेद चिकित्सकों समेत अन्य कर्मचारियों के पद खाली हैं। जिला मुख्यालय के आयुर्वेदिक औषधालय में शासन ने मरीजों की सुविधा के लिए पंचकर्म चिकित्सा उपलब्ध कराई है। पंचकर्म केंद्र संचालित करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर का होना जरूरी है, लेकिन विदिशा में एमडी डॉक्टर का पद भरने के प्रयास नहीं किए जाने से 15 साल से पंचकर्म चिकित्सा बीएएमएस डॉक्टर की देखरेख में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कर रहे हैं, जबकि पंचकर्म के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ का होना अनिवार्य है। 17 फरवरी को 11 शासकीय औषधालयों में नए चिकित्सकों ने ज्वाइन कर लिया है, लेकिन एमडी डॉक्टर का पद नहीं भरा गया।
इतना ही नहीं जिला स्तरीय आयुष विंग में उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को सादे कागज पर औषधियां लिखकर दी जाती हैं, जबकि उपचार के पर्चे में सबसे ऊपर औषधालय का नाम अथवा औषधालय की मुहर लगी होना चाहिए। इसके नीचे रोगी का नाम, उम्र और ओपीडी नंबर लिखना चाहिए। औषधियां लिखने के बाद डॉक्टर की सील लगना चाहिए, लेकिन जिला मुख्यालय के इस सरकारी औषधालय में सादे कागज पर पर्चा बनाया जा रहा है, जिसमें कोई विवरण नहीं दिया जाता।

आयुष विभाग की उदासीनता से आज तक नहीं लगा बोर्ड

जिला मुख्यालय के मुख्य सड़क मार्ग पर नगर पालिका के दोनों प्रवेश द्वार पर शासकीय आयुर्वेद औषधालय का बोर्ड लगना चाहिए, लेकिन विभाग द्वारा आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया।
इस कारण शहर के निवासियों को इस शासकीय आयुर्वेद औषधालय की जानकारी नहीं है। जबकि इस भवन में अनेक वर्षों से नगरपालिका कार्यालय संचालित हो रहा है और विदिशा शहर का प्रत्येक परिवार का एक न एक सदस्य किसी ना किसी कार्य से नगरपालिका कार्यालय आता रहता है, किंतु मुख्य प्रवेश द्वार पर शासकीय आयुर्वेद औषधालय का बोर्ड नहीं लगा होने से अधिकांश शहर निवासियों को इस शासकीय आयुर्वेद औषधालय की जानकारी नहीं है और वे आयुर्वेदिक उपचार का लाभ लेने से वंचित हैं। जबकि सरकार आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है और विभागीय अधिकारी सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं।

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