मुख्यपृष्ठनए समाचारशिंदे-फडणवीस के दावों में नहीं है दम

शिंदे-फडणवीस के दावों में नहीं है दम

-मुंबई में रोजाना ४२ महिलाएं हो रही हैं लैंगिक हिंसा की शिकार

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई

मुंबई में महिलाओं के खिलाफ लैंगिक हिंसा का बढ़ता ग्राफ चिंताजनक है। मनपा के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल शहर में महिलाओं के साथ हुई लैंगिक हिंसा के कुल १५,४०६ मामले सामने आए थे। इन आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना ४२, जबकि हर घंटे औसतन दो महिलाएं लैंगिक हिंसा की शिकार हो रही हैं। कुल मिलाकर इन आंकड़ों ने शिंदे सरकार के राज में महिलाओं की सुरक्षा के किए जा रहे दावों की पोल खोलते हुए यह सिद्ध कर दिया है कि इन दावों में कोई दम नहीं है। इस सरकार के राज में आज भी मुंबई में महिलाएं असुरक्षित ही हैं।
उल्लेखनीय है कि घरेलू हिंसा महिलाओं के विरुद्ध हिंसा का सबसे व्यापक रूप है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-५ के आंकड़ों के मुताबिक, शहरी इलाकों में २४ फीसदी महिलाओं को अपने साथी के जरिए, जबकि १८ से ४९ वर्ष के बीच की २.५ प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है। कुल मिलाकर ७७ प्रतिशत से अधिक महिलाएं ऐसी घटनाओं या अनुभवों के बारे में सीधे रिपोर्ट करने या बात करने से बचती हैं। इस तरह की हिंसाओं की शिकार मुंबई की महिलाएं भी हो रही हैं। मनपा की तरफ से कहा गया है कि घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद के लिए मनपा अस्पतालों में संकटकालीन हस्तक्षेप केंद्रों के रूप में १२ राहत केंद्र और दो वन स्टॉप सेंटर कार्य कर रहे हैं। यहां यौन हिंसा की संदिग्ध महिलाओं को विभिन्न ओपीडी या आईपीडीएस से रेफर किया जाता है। पोक्सो के मामलों में और कभी-कभी मेडिकोलीगल जैसे मामलों में पुलिस द्वारा मरीजों को इन केंद्रों में लाया जाता है। अस्पताल में संबंधित मरीज की जांच के साथ परामर्श दिया जाता है, लेकिन जिस तरीके से मुंबई में महिलाओं के साथ लैंगिक हिंसा के मामले बढ़े हैं, उसे देखते हुए यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि इस तरह के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए शिंदे सरकार द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयास गलत नीतियों के कारण नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे माहौल में महिलाएं भी खुद को असहज महसूस कर रही हैं।

इस तरह हैं आंकड़े
साल २०२३ के दौरान राहत केंद्रों में यौन हिंसा की शिकार १५,४०६ महिलाओं और १,२५१ बच्चों की जांच और काउंसलिंग की गई। निरीक्षण के बाद इन केंद्रों पर यौन हिंसा की शिकार १,७०७ महिलाएं और ५३० बच्चे पंजीकृत किए गए। इन सभी को परामर्श के साथ-साथ आवश्यकतानुसार चिकित्सीय सहायता के साथ-साथ कानूनी और पुलिस सहायता भी प्रदान की गई।

क्या सफल होगी मनपा की पहल?
मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने यौन हिंसा के बारे में जागरूकता पैदा करने और इसकी शिकार महिलाओं की मदद करने के लिए आगे आने के लिए और प्रोत्साहित करने के लिए एक पहल शुरू की है। इसके तहत राहत केंद्रों में पहले से मौजूद संकटकालीन हस्तक्षेप सेवाओं का विस्तार किया जाएगा। मनपा प्रसूति केंद्रों में यौन हिंसा के लिए प्राथमिक जांच और अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए ‘दिशा’ केंद्र स्थापित किए जाएंगे। सभी केंद्रों में स्क्रीनिंग, परामर्श और रेफरल सेवाएं प्रदान करने के लिए नर्सों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा आरोग्य आपके द्वार योजना के माध्यम से यौन और घरेलू हिंसा के बारे में भी जन जागरूकता पैदा करेगा। इसके बावजूद महिलाओं के साथ होनेवाली यौन हिंसाओं की रोकथाम पर संदेश जताया जा रहा है।

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