सच तो यही है

क्या वक्त आया हर अखबार बिक गया
नाम तो ‘सच’ था, पर भरे बाजार बिक गया
संभल के रहना यहां कसम खाने वालों से
सच्ची खबरें देने वाला कारोबार बिक गया
किसे ढूंढ रहे हो तुम नाट्यमंच में ऐ दोस्त!
कौड़ियों में इसका मुख्य किरदार बिक गया
शहर में नहीं कोई जांबाज बस इतना जान ले
नाम के लिए जो था वो शह-सवार बिक गया
बड़ा गुरूर था मुझे कि वो कभी दगा नहीं देगा
वक्त बदला तो सबसे बड़ा वफादार बिक गया।
-दिनेश के वोहरा

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