मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ
इस्राइल और ईरान के बीच युद्ध ने लखनऊ में बहुत से परिवारों की चिंता बढ़ा दी है। दोनों देशों के भारतीय दूतावास से लगातार संपर्क जारी है। लेकिन इन देशों में गए लोग जब तक सही सलामत वापस न आ जाएं तब तक परिवारों के लोग दूतावासों से सही सूचना के सहारे दिन-रात काट रहे हैं। बड़ी संख्या में युवा इस्राइल में कामगार के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। परिवार चाहता है कि ये जल्द से जल्द घर वापस आ जाएं, लेकिन उड़ानें बंद होने के कारण युवा वहां फंसे हुए हैं। बीकेटी के रहने वाले अजय चौहान ने बताया कि भाई हरित चौहान बीते एक साल से इस्राइल में हैं। वह घर आना चाहते हैं, लेकिन अभी फ्लाइट का कोई विकल्प नहीं है। रायबरेली के राजेश कुमार भी इस्राइल में कामगार हैं। उनकी माता सावित्री ने बताया कि घर में छोटे-छोटे बच्चे व अन्य सदस्य हैं। काम से भी ज्यादा जरूरी है जीवन। बेटे से जब बात होती है तो वो सब कुछ ठीक और सुरक्षित होने की बात बताता है, लेकिन इसके बावजूद चिंता बनी रहती है। सेवायोजन विभाग का कहना है कि इस्राइल में पांच हजार से अधिक भारतीय श्रमिक सेवा दे रहे हैं। इतनी ही संख्या में भविष्य में और भेजने की तैयारी है। अधिकारियों ने बताया कि ईरान और इस्राइल के बीच हो रहे हमले की वजह से भारतीय श्रमिकों पर किसी तरह का खतरा नहीं है। सभी सुरक्षित हैं। भारत सरकार हालात पर नजर रखे हुए है। स्थिति बिगड़ी तो श्रमिकों को वापस बुला लिया जाएगा।”
लखनऊ के 1000 से अधिक जाइरीन ईरान की जियारत पर हैं। उन्हें तेहरान, महशद, कोम, निशापुर और काशान शहर में स्थित रौजो की जियारत करनी है। जियारत के बाद जायरीनों को 18 और 19 जून के अलग- अलग फ्लाइटों से लौटना था। लेकिन, ईरान-इस्राइल जंग की वजह से उड़ानें कैंसल होने से सभी वहीं फंस गए हैं। इसके अलावा वहां पढ़ाई करने गए शहर के स्टूडेंट्स की संख्या भी करीब 350 है। लब्बैक टूर्स के ऑनर इरफान हुसैन ने बताया कि जियारत के लिए छह पुरुष, 12 महिलाओं और एक बच्ची 27 मई को इराक के लिए रवाना हुई थी। इरफान ने कहा कि वहां से जियारत के बाद 9 जून को ईरान के मशहद पहुंचे। इसके बाद ट्रेन से 13 जून को कुम शहर गए थे। 18 जून को वापसी की फ्लाइट थी, जो कैंसिल हो गई है। अब सब फंस गए हैं। एंबेसी से संपर्क किया जा रहा है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कब और कैसे लौट सकेंगे। कारवान-ए-नूर टूर एंड ट्रेवल्स से 127 लोग 27 मई को जियारत के लिए इराक-ईरान गए थे। 19 जून को वापसी की फ्लाइट थी। नक्खास स्थित कारवाने अब्बास काफिले के ऑनर आशू जायसवाल भी करीब 35 लोगों को लेकर जियारत पर गए हैं।सभी कोम शहर में फंसकर रह गए हैं। कश्मीरी मोहल्ला स्थित अवतार टूर के संचालक ने भी बताया कि 70 लोगों को जियारत के लिए ईरान भेजा है।इस्लामिक एजुकेशन और रोजगार के लिए भी लखनऊ के लोग ईरान में हैं। यूपी के करीब 8000 युवा ईरान में इस्लामिक एजुकेशन हासिल कर रहे हैं। इसमें से लखनऊ के ही करीब 350 युवा शामिल है।