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ट्रैफिक का टेंशन जारी है… अधर में लटका मृणालताई गोरे उड़ानपुल का विस्तारित भाग

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबईकरों को ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए महानगरपालिका ने २०१८ में मृणालताई गोरे उड़ानपुल के विस्तारित भाग का निर्माण करने के लिए मान्यता दी थी और इस विस्तारित भाग को दो साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके लिए महानगरपालिका ने २०९ करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया था। मृणालताई गोरे उड़ानपुल विस्तारित भाग कुल लंबाई ८४० मीटर है। मृणालताई गोरे उड़ानपुल २०१६ में आम जनता के उपयोग के लिए खोल दिया गया था, उसके बाद महानगरपालिका ने इस २०१८ में इस पुल के विस्तार का निर्णय लिया। वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से लिंक रोड तक बिना किसी परेशानी और सिग्नल की रुकावट तक पहुंचा जा सके, इसलिए मृणालताई गोरे उड़ानपुल के विस्तार का निर्णय लिया गया था। इस उड़ानपुल के निर्माण से तीन ट्रैफिक सिग्नल से मोटर वाहन चालकों को मुक्ति मिलती है और कम से कम २० मिनट की बचत होती है। राम मंदिर रेलवे स्टेशन से लगकर मृणालताई गोरे उड़ानपुल निर्माण पश्चिम और पूर्व की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए किया गया था।
पांच सालों में भी पूरा नहीं हो पाया पुल का काम
मृणालताई गोरे उड़ानपुल के विस्तारित भाग के निर्माण की मंजूरी २०१८ में महानगरपालिका ने दी थी, लेकिन पांच सालों बाद भी अभी तक इसका काम पूरा नहीं हो पाया है। मंजूरी के बाद काम की शुरुआत भले ही तेजी से हुई थी, लेकिन उसके बाद काम रुक गया था। पिछले दो सालों से काम शुरू तो हो गया है, लेकिन पूरा नहीं हो पा रहा है। मृणालताई गोरे उड़ानपुल का विस्तारित भाग का महानगरपालिका प्रशासन के विफलता का एक ज्वलंत उदहारण है। लोगों की सुविधा के लिए पुल के विस्टा का काम करना था, लेकिन आज वही पुल लोगों के लिए मुसीबत का पर्याय बन गया है। राम मंदिर स्टेशन के निर्माण के कारण आस-पास के इलाके में पहले से ज्यादा घनी आबादी हो गई है। ओशिवरा डिस्ट्रिक्ट सेंटर और सनटेक जैसे प्रोजेक्ट आने के कारण लोगों को मृणालताई गोरे उड़ानपुल के विस्तारित भाग का बहुत लाभ हो सकता था, लेकिन प्रोजेक्ट के पूरा न होने के कारण लोगों में मायूसी है।
महानगरपालिका में इस समय प्रशासक ही पूरा कारभार देख रहा है। ऐसे समय में कोई नगरसेवक न होने के कारण स्थानीय लोग सवाल भी नहीं पूछ पा रहे हैं और महानगरपालिका के अधिकारी का रवैया सब जानते हैं। प्रोजेक्ट की देरी के कारण लागत में कितनी बढ़ोतरी होनेवाली है, उसकी भी जानकारी देने में महानगपालिका असमर्थ है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पुल के निर्माण के कारण बहुत दिनों तक रास्ता बंद रखा गया था, फिर भी काम पूरा नहीं हो पाया है। पुल के निर्माण के लिए पिलर खड़े कर दिए गए हैं, लेकिन उसके ऊपर सड़क बनाने का काम अभी अधूरा ही है। महानगरपालिका अधिकारियों के पास भी पुल का विस्तारित भाग कब शुरू होगा, इसकी कोई जानकारी नहीं है।

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