अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर प्रभाग समिति क्रमांक 1 के लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक नगर परिसर में जलापूर्ति के लिए व्यवस्था की गई है, लेकिन इस पानी की टंकी परिसर की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। सुरक्षात्मक उपायों के बिना यह परिसर गंदगी, बदबू, घास और जंगली पेड़ों के कारण नारकीय स्थिति में आ गया है। गंदगी के कारण चूहों का आतंक बढ़ गया है और साथ ही असुरक्षा का माहौल भी उत्पन्न हो गया है।
कुछ साल पहले इस परिसर में कुछ बच्चे आग से खेल रहे थे, जिस दौरान मलेरिया के रासायनिक छिड़काव के कारण आग लग गई थी और अरिहंत सिंह नामक बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद, आयुक्त राजेंद्र निबालकर के आदेश पर मुख्य गेट पर “आम आदमी का प्रवेश वर्जित” लिखवा दिया गया। लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि इस पानी की टंकी में वाल्मिक नगर के लोगों के आने-जाने का रास्ता है और यहाँ उल्हासनगर जलापूर्ति विभाग का मरम्मत कार्यालय, स्वास्थ्य केंद्र, तीन मंदिर, एक सार्वजनिक शौचालय और सफाई कार्यालय स्थित हैं।
गंदगी और बदबू के कारण चूहों और मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है। पानी की टंकी में लगी दीवारों और पाइपलाइनों से पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे परिसर की हालत और भी खराब हो गई है। कमला नेहरू नगर रहिवासी संघ के अध्यक्ष सुभाष सिंह का कहना है कि पानी की टंकी परिसर को स्वच्छ और सुंदर रखने की आवश्यकता है, लेकिन इसकी स्थिति ऐसी हो गई है कि शायद शहर में दूसरा कोई स्थान ऐसा न होगा। उन्होंने कहा कि अगर उल्हासनगर में गंदगी का अवार्ड दिया जाए तो वाल्मिक नगर परिसर को ही यह मिल सकता है।
सुमित्रा विश्वकर्मा का कहना है कि पानी की टंकी परिसर की हमेशा उपेक्षा की गई है। कुछ महीनों पहले नाली का निर्माण किया गया था, जो अभी तक व्यवस्थित नहीं हो सका और कुछ महीनों में ही टूट गया है। इस परिसर की ऐसी नारकीय दशा के लिए जलापूर्ति, स्वच्छता और सार्वजनिक निर्माण विभाग की उपेक्षा जिम्मेदार है। सफाई विभाग का कहना है कि नाली का निर्माण ठीक से नहीं किया गया, जिसके कारण सफाई में कठिनाई हो रही है।
इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए मनपा आयुक्त मनिषा आव्हाडे को अपने अधिकारियों के साथ संयुक्त दौरा करने की आवश्यकता है। इसके बाद ही इस परिसर में सुधार की कोई संभावना हो सकती है।