रास्ता

रास्ता सो जाता है रात में
सियापा ओढ़कर अंधेरे के साथ।
अलसुबह उठता है जगाता है
चमकता है पहलकदमी करता है
दौड़ता भी है आंखें खोलकर ।
रास्ता चलता है लोगों के साथ
भीड़ बनकर और जाम भी होता है
असमंजस में समय के साथ।
रास्ता खुलता है जब
जागता है आदमी अपनी चेतना के साथ
भागता है उद्देश्य की ओर
संकल्प बद्ध होकर।
रास्ता बनता भी है चमकता हुआ नया
कभी-कभी ऊबड़ खाबड़।
और पहुंचा देता है हमको
गंतव्य पर हमारा साथ देकर ।।

-अन्वेषी

ऐसे माहौल में

ऐसे माहौल में हम क्या करें
रोएं गाएं चिल्लाएं या चुप हो जाएं।
तुम्हीं बताओ हम क्या करें।
क्या न करें, तुम कहो तो हम
कहीं चले जांय माहौल छोड़कर।
किसे बुलाएं, क्या बताएँ अब तुम्हीं बताओ
हम क्या करें, क्या न करें।
बताओ जल्दी बताओ।
साथ आओ जान बचाओ
हमारा अपना और पूरे देश का
इस माहौल में ।।

-अन्वेषी

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