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यात्रियों को होने वाली असुविधा के लिए हमें खेद है। लेट-लतीफी व अव्यवस्थाओं की वजह से रेलवे पर जुर्माना क्यों नहीं?

पंचनामा : संतोष तिवारी
अभी हाल ही में मुंबई एयरपोर्ट का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कई सारे महिला-पुरुष यात्री एयरपोर्ट के ‘टरमैक’ पर बैठकर भोजन करते हुए दिखाई दे रहे थे। वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनलों में काफी हो हल्ला मचा। एयरलाइन्स की व्यवस्था को लेकर लोगों में काफी नाराजगी देखने को मिली। इस मामले में संज्ञान लेते हुए विमानन सुरक्षा निगरानी संस्था (बीसीएएस) ने इंडिगो एयरलाइंस और मुंबई एयरपोर्ट के ऑपरेटर एमआइएएल पर कुल १.८० करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही डीजीसीए ने एयर इंडिया और स्पाइस जेट एयरलाइनों पर ३०-३० लाख रुपए का जुर्माना लगाया। बताया जाता है कि इंडिगो की विमान संख्या ६ई-२१९५ को दिल्ली से गोवा का सफर तय करना था, लेकिन उत्तर भारत में गहरे कोहरे की वजह से विमान कई घंटे की देरी से दिल्ली से उड़ान भरी। लो विजिबिलिटी के कारण विमान को गोवा के बजाए मुंबई डायवर्ट कर दिया गया। इससे यात्रियों में आक्रोश बढ़ा हुआ था। तत्काल गोवा की तरफ जाने की मांग को लेकर यात्री बस में बैठने के बजाय ‘टरमैक’ पर ही बैठ कर भोजन करने लगे। जानकारी के लिए बता दें कि ‘टरमैक’ प्रतिबंधित क्षेत्र होता है। इसका इस्तेमाल केवल यात्रियों को बस से विमान तक लाने और ले जाने के लिए किया जाता है। सोशल मीडिया में कई लोगों ने कहा कि जिस विमान सेवा के लिए लोग हजारों रुपए खर्च करते हैं अगर उन्हें ऐसी व्यवस्था से दो चार होना पड़ेगा तो फिर इतने पैसे खर्च करने का कोई मतलब नहीं है?
लोगों के निशाने पर रेलवे
इस दौरान एक बात और हुई, जब वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो यह मांग उठने लगी कि अगर एयरलाइन्स से जुर्माना वसूला जा सकता है तो रेलवे से क्यों नहीं? लोगों ने रेलवे को निशाने पर ले लिया। नेटीजंस का कहना था कि रेलवे तो १०-१० घंटे लेट रहती है। ट्रेनों में भेड़-बकरियों की तरफ यात्री ठुसे रहते हैं। रेलवे की यह समस्या कोई आज की नहीं है यह तो पिछले कई सालों से होता चला आ रहा है। मौसम खराब रहे तो ट्रेन लेट होती ही है, लेकिन मौसम साफ रहे तो भी ट्रेनें देरी से चलती हैं।
इन मुद्दों पर क्यों नहीं होती है बात
खैर, अब आते हैं व्यवस्था के दूसरे पहलू पर। बात करते हैं भारतीय रेलवे की। रेलवे की व्यवस्थाओं को लेकर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाता है? इस समय कोहरे के कारण अधिकांश ट्रेनें कई-कई घंटे देरी से चल रही हैं. कोई-कोई ट्रेन ८ से १० घंटे की देरी से चल रही हैं। ट्रेनों का जनरल डिब्बा हो या स्लीपर या फिर थर्ड एसी का डिब्बा, सभी में लोग भूसे की तरह बैठे नजर आते हैं? इस पर जुर्माना क्यों नहीं लिया जाता है?
रेलवे के उपाय क्यों हो रहे हैं बेअसर
रेलवे ने ट्रेनों में एंटी फोग सिस्टम लगाने की भी बात कही, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ? आज तक कितनी ट्रेनों में यह सिस्टम लगा, इसकी भी कोई जानकारी नहीं है?

विदेशी मॉडल को अपनाएं 
रेलवे की यह समस्या काफी पुरानी है। लेकिन रूस,चीन और एनी यूरोपीय देशों में जहां साल के बारहों महीने बर्फ पड़ती है, वहां का भी मौसम तो खराब रहता है लेकिन वहां ट्रेनें लेट नहीं होती हैं। सरकार को चाहिए कि वहां अपने विशेषज्ञों को भेजकर वहां का मॉडल सीखें और उसे हिंदुस्थान में भी लागू करें।
– एड. दरमियान सिंह बिष्ट, अध्यक्ष,
रेलवे पैसेंजर्स वेलफेयर एसोसिएशन
लेटलतीफी की आदत 
इन मुद्दों पर रेलवे सहित कोई बात इसलिए नहीं करता है, क्योंकि लोगों को रेलवे के इस लेटलतीफी की आदत पड़ चुकी है। ट्रेन अगर राईट टाइम पर हो तो लोगों को हैरानी होती है। लेट होना हिंदुस्थान का कल्चर बन चुका है। इस पर रेलवे को काम करना चाहिए।
– अभिषेक सिंह, मुंबई
रेल प्रशासन की अव्यवस्था
यात्रियों को स्टेशनों पर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। सर्दी में यात्रियों की हालत खराब हो रही है। बच्चों का बुरा हाल हो रहा है। यात्री प्रतीक्षालय में जगह नहीं मिलने पर प्लेटफार्म और खुले में बैठने को मजबूर हैं। इन समस्याओं की जानकारी होने के बावजूद रेल प्रशासन कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है। जिसके कारण सिर्फ यात्रियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
– विनोद पांडेय, मुंबई

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