मुख्यपृष्ठनए समाचार‘क्या हुआ तेरा वादा?’..अंबादास दानवे का सरकार से तीखा सवाल!

‘क्या हुआ तेरा वादा?’..अंबादास दानवे का सरकार से तीखा सवाल!

-४,५९० से अधिक ग्राम पंचायतों और ६८ तालुकाओं से सरकार को सौंपे गए ज्ञापन!

-मराठवाड़ा में सत्ताधारी विधायकों और मंत्रियों को भी शिवसेना की ओर से ज्ञापन!

-शिवसेना द्वारा मराठवाड़ा में १०८० ग्राम सभाओं में आंदोलन की हुंकार!

-११ जून को तालुका स्तर पर ट्रैक्टर मोर्चा

-१२ जून को जिला स्तर पर चक्काजाम आंदोलन

छत्रपति संभाजीनगर / मुंबई

कर्जमाफी, किसान सम्मान योजना, बहनों को २,१०० रुपए सहायता, ४५ हजार पनध सड़कें, अन्नदाता ऊर्जादाता योजना, फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य, खाद पर जीएसटी में सब्सिडी और १ रुपए में फसल बीमा- इन तमाम वादों की गूंज के साथ सत्ता में आई इस सरकार ने अब सब कुछ भुला दिया है। सत्ता की कुर्सी पर बैठते ही सरकार ने जनता को धोखा दिया है। इसलिए एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्रियों वाली इस तिकड़ी सरकार से हम पूछते हैं, ‘क्या हुआ तेरा वादा?’, यह सवाल विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने पत्रकार परिषद में उठाया।

किसानों से जुड़े सवालों पर दानवे का सीधा वार
दानवे ने कहा कि महायुति सरकार ने बड़े-बड़े दावे कर अनेक योजनाएं घोषित कीं, लेकिन वे सब आज केवल कागजों तक सीमित हैं। किसान भारी निराशा में हैं और अनेक मूलभूत समस्याएं सामने आ चुकी हैं।
सरकार ने कर्जमाफी की घोषणा की, लेकिन अमल नहीं किया
समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि का कोई अता-पता नहीं।
वित्त मंत्री अजित पवार ने किसानों का मजाक उड़ाते हुए उन्हें स्वयं कर्ज भरने को कहा।
परिणामस्वरूप पिछले ७ महीनों में १००० से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली।
किसानों से वसूला गया जीएसटी सब्सिडी के रूप में लौटाने का वादा अधूरा।
सोयाबीन और कपास की कीमतें गिराने के लिए विदेशों से आयात की नीति।
किसान सम्मान योजना की राशि रुपए १२,००० से रुपए १५,००० करने का वादा अब तक सिर्फ ‘बाजार की बात’ ही रह गया।
बारिश से हुए नुकसान की कोई भरपाई नहीं।
हमी भाव की दीड़गुनी दर का वादा केवल जुमला निकला।
फसल बीमा और सड़क योजनाएं भी अधूरी:
“रुपए १ में फसल बीमा” योजना बंद कर दी गई।
बीमा कंपनियों ने रुपए १.५ लाख करोड़ प्रीमियम वसूले, लेकिन किसानों को मुआवजा नहीं।
४५,००० गांवों के लिए पनध सड़कें सिर्फ घोषणा बनी रहीं।
“अन्नदाता से ऊर्जादाता” योजना मात्र छलावा। आज भी किसान लोडशेडिंग से परेशान हैं।
“हर घर जल, हर घर छत” योजना भ्रष्टाचार और देरी की भेंट चढ़ी।
महिलाओं और वृद्धों से भी वादा-खिलाफी:
लाडली बहनों को न केवल बढ़ी हुई राशि नहीं मिली, बल्कि पूर्व निर्धारित राशि भी समय पर नहीं मिली। उज्ज्वला गैस योजना ठप।
महिलाओं की सुरक्षा पर सरकार का रवैया उदासीन-महाराष्ट्र में प्रतिदिन ७० महिलाएं लापता होती हैं, वर्ष २०२३ में ७५२१ बलात्कार की घटनाएं दर्ज हुईं, फिर भी महिला आयोग मौन।
२५,००० महिला पुलिस की भर्ती का वादा हवा में।
वरिष्ठ नागरिक और युवा भी ठगे गए:
वृद्धों को रुपए २,१०० पेंशन और सरकारी अस्पतालों में अलग ओपीडी देने का वादा अधूरा।
२५ लाख नौकरियां और १०,००० विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने का वादा जुमला बना।
छत्रपति शिवाजी महाराज आकांक्षा केंद्र और एरोनॉटिकल हब के नाम पर युवाओं को सपने दिखाए गए।
मराठवाड़ा वॉटर ग्रीड परियोजना-केवल घोषणा:
वर्ष २०१८ से ४०-४५ हजार करोड़ की इस योजना पर कोई ठोस कदम नहीं।
आज भी मराठवाड़ा टैंकर के पानी पर निर्भर है।
इच्छाशक्ति की कमी और बजट न मिलने से यह परियोजना ठप पड़ी है।
दानवे का सरकार को स्पष्ट संदेश:
‘क्या हुआ तेरा वादा?’ आंदोलन के जरिए हम मराठवाड़ा और समूचे महाराष्ट्र की समस्याओं की ओर शासन और प्रशासन का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। अगर सरकार ने वादों की पूर्ति नहीं की तो जनता का आक्रोश भड़क उठेगा, ऐसा स्पष्ट इशारा अंबादास दानवे ने किया।
आंदोलन की आगामी रूपरेखा
मराठवाड़ा के किसानों की नाराजगी ४५९० ग्राम पंचायतों और ६८ तालुकाओं से ज्ञापनों के रूप में सामने आई। शिवसेना की ओर से सत्ताधारी विधायकों और मंत्रियों को भी ज्ञापन सौंपे गए।
११ जून को तालुका स्तर पर ट्रैक्टर मोर्चा और १२ जून को जिला स्तर पर चक्का जाम आंदोलन किया जाएगा, इसकी जानकारी दानवे ने दी।

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