मुख्यपृष्ठस्तंभआखिर कब रुकेंगी रेप की घटनाएं?

आखिर कब रुकेंगी रेप की घटनाएं?

योगेश कुमार सोनी

बीते दिनों कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या का मामला शांत नहीं हुआ कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर शहर में एक नामी स्कूल के अंदर दो नाबालिग लड़कियों से यौन शोषण का मामला सामने आया है। मीडिया में मामला आने के बाद राज्य में जनता ने हंगामा खड़ा कर दिया। जनता का कहना है कि महाराष्ट्र में रेप जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। महाराष्ट्र में बढ़ती अव्यवस्था से राज्य की जनता में आक्रोश देखने का मिला। बदलापुर के हजारों लोग विरोध के लिए सड़कों पर उतरे। लोगों ने ट्रैक पर उतरकर बदलापुर रेलवे स्टेशन को ठप कर दिया। बहुत देर तक ट्रेनों की आवाजाही बाधित रही। यौन शोषण के विरोध में दोषियों को तत्काल सजा देने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी तैनात की गई थी लेकिन जनता के क्रोध के आगे ज्यादा कुछ नहीं कर सकी। रेप की घटनाएं बढ़ने से मौजूदा स्थिति में देश में एक अजीब सा माहौल है। क्या इस जुर्म को लेकर हमारे कानून सख्त न होने की वजह से अपराधियों के हौसले बढ़ रहे हैं या सरकार की लचीली शैली के कारण। मामला चाहे कुछ भी हो लेकिन रेप की घटनाओं से देशभर जनता का मन में बड़े स्तर पर नाराजगी देखी जा रही है। देश की आजादी के 78 वर्ष हो चुके और क्या हम आज भी महिलाओं को सुरक्षा देने में इतने असफल क्यों हैं। महिलाओं को समान अधिकार की चर्चा हमारी राजनीति में इतनी गूंजती है कि मानों हम भी अब महिला को पूर्ण रूप से बराबर का दर्जा दे चुके हों, लेकिन हर रोज हो रही दर्दनाक घटनाओं ने सुरक्षा की सारी कलई खोल दी। बहरहाल, ऐसे घटनाक्रमों से हम सब पर सवालिया निशान नहीं खड़ा कर रहे, लेकिन ऐसे लोग जिस तरह आम लोगों के लिए परेशानी बन रहे हैं उससे एक अस्वस्थ समाज का निर्माण हो रहा है। यदि समय के रहते इन पर शिकंजा नहीं कस पाए तो आम आदमी का रहना मुश्किल हो जाएगा। यहां शासन-प्रशासन को बड़े एक्शन ऑफ प्लान की जरूरत है। कुछ राजनीतिक पार्टियां पीड़ितों को लाखों-करोड़ों रुपयों मुआवजा देकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का काम करती हैं और घटिया तरह से राजनीति करने का प्रयास करती हैं लेकिन अब इससे भी काम नहीं चलने वाला। जिस तरह यह लोग अपने चुनावी भाषण में महिला सुरक्षा का दावा व वादा करती हैं उस ही तरह पूरा भी करना होगा। वर्ष 2018 में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की एक रिपोर्ट में भारत में महिलाओं की स्थिति का आंकड़ों के आधार पर आकलन किया था जिसमें भारत को महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया था। 193 देशों में हुए इस सर्वे में भारत की महिलाओं पर सबसे अधिक अत्याचार होते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, उनके साथ होने वाली यौन हिंसा, हत्या और भेदभाव जैसे कृत्य होते हैं। भारत हर आकलन में पीछे था लेकिन सुरक्षा के लिहाज से महिलाओं की स्थिति सबसे खराब है। महिलाओं के साथ सेक्शुअल में भी भारत पहले आता है और यदि भेदभाव पर भी चर्चा करें तो भी हम ही पहले आते हैं। 2013 में यूएन ने भारत में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा पर एक रिपोर्ट तैयार की थी जिसमें कहा गया था कि वैसे तो पूरी दुनिया में औरतें मारी जाती हैं, लेकिन भारत में सबसे ज्यादा बर्बर और क्रूर तरीके से लगातार लड़कियों को मारा जाता है। इन रिपोर्ट व आंकड़ों का जब विश्व स्तर पटल पर चर्चा हुई थी तो हम शर्मसार थे और शायद वो स्वाभाविक भी था। हमारे देश में लड़की को पूजा जाता है और यह संस्कार व संस्कृति मात्र कुछ लोगों में रहकर ही सिमटती जा रही है। देश में अभी भी पुलिस बल की कमी है, जब किसी घटना को लेकर पुलिस से सवाल पूछे जाते हैं तो हमेशा अनाधिकारिक तौर पर कहते हैं हम क्या करें, हमारे पास पुलिस की संख्या इतनी कम है कि हम पूर्ण रूप से क्राइम को कंट्रोल व इलाके को संचालित नहीं कर पाते हैं और यह बात अपराधी भली भांति समझते हैं जिसका वह भरपूर फायदा उठाते हैं। किस तरह कानून से खेला जाता है यह बात अपराधियों को अच्छे से पता है। लेकिन अब ऐसे काम नहीं चलेगा चूंकि यदि महिलाओं में सुरक्षा को लेकर अभाव आ गया तो देश की तरक्की रुक जाएगी। राजनीति से लेकर सरकारी व प्राइवेट कार्यालयों में महिलाओं को लेकर रिजर्व सीटें होने लगी जिससे यह तय हो जाता है कि अब हम महिला शक्ति के बिना अधूरे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार

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