मुख्यपृष्ठस्तंभआखिर हड़ताल पर क्यों उतरे डॉक्टर?

आखिर हड़ताल पर क्यों उतरे डॉक्टर?

धीरेंद्र उपाध्याय

स्टायपेंड में बढ़ोतरी और छात्रावास समेत कई मांगों को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों की गुरुवार शाम पांच बजे से हड़ताल शुरू हो गई है। हालांकि, हड़ताल के दूसरे दिन मरीजों को मुहैया कराई जा रही सुविधाओं पर कोई खासा असर दिखाई नहीं दिया, लेकिन सवाल यही है कि आखिर इन रेजिडेंट डॉक्टरों को हड़ताल पर उतरने को क्यों मजबूर होना पड़ा?
दरअसल, जे.जे. अस्पताल में १,००० रेजिडेंट डॉक्टर हैं। यहां स्थित छात्रावास में ३०० कमरे हैं। हर कमरे में २ से ३ रेजिडेंट डॉक्टर रहने को मजबूर हैं। इसके अलावा ४०० डॉक्टरों का एक नया बैच अप्रैल या मई में जे.जे. अस्पताल में शामिल होगा। रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग है कि उन्हें आवासीय छात्रावास उपलब्ध कराया जाए, क्योंकि छात्रों की संख्या बढ़ने से आगे चलकर यह समस्या और जटिल हो जाएगी। इसे लेकर गुरुवार को जे.जे. अस्पताल ‘हमारा छात्रावास, हमारा अधिकार’, ‘हमारा स्टायपेंड, हमारा अधिकार’, ‘हमारी मांगें पूरी करो’ जैसे नारों से गूंज उठा। हालांकि, मार्ड के सभी रेजिडेंट डॉक्टरों की इस हड़ताल का मरीजों की देखभाल पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। जे.जे. अस्पताल के ओपीडी और सर्जरी विभाग पर भी हड़ताल का असर नहीं दिखा। सुबह ८ बजे से इंटर्न, कुछ रेजिडेंट डॉक्टर, प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर ने पूरी ओपीडी को संभाला। कुछ रेजिडेंट डॉक्टर भी ओपीडी और वॉर्ड में मरीजों की जांच कर रहे थे। कुछ ओपीडी में केवल प्रशिक्षुओं ने ही परिस्थितियों को संभाले रखा। हालांकि, कई ओपीडी में मरीजों के बीच भ्रम की स्थिति भी दिखाई दी। वरिष्ठ डॉक्टरों के मुताबिक, एक समय में दो डॉक्टर सेवा दे रहे थे इसलिए काम का तनाव ज्यादा था। हालांकि, किसी भी मरीज को वापस नहीं भेजना पड़ा।
मार्ड के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत हेलगे के मुताबिक, हम किसी भी तरह की हड़ताल करना नहीं चाहते हैं, लेकिन १५ से २० दिन का समय देने के बाद भी सरकार ने हमारी मांगें पूरी नहीं की हैं। ऐसे में हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। सरकार की तरफ से केवल आश्वासन दिया जाता है, लेकिन हमारी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं। मरीज की देखभाल करना हमारा कर्तव्य है। हमें खेद है, लेकिन कोई विकल्प नहीं है। सभी आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। निदेशक के साथ हुई बैठक में भी कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका इसलिए हड़ताल जारी रहेगी।
जे.जे. अस्पताल में ओपीडी रोजाना की तरह ही हुईं। संबंधित विभागप्रमुखों और प्रोफेसरों ने मरीजों की जांच की, साथ ही इमरजेंसी सेवाओं में रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं जारी रखीं। इस कारण हड़ताल का खासा असर नहीं दिखा। जे.जे. अस्पताल की डीन डॉ. पल्लवी सापले का कहना है कि शाम पांच बजे तक ओपीडी में कुल १,८४२ मरीजों की जांच की गई। इसके साथ ही ६४ मरीजों को भर्ती किया गया। कल ४५ माइनर और ५१ मेजर समेत कुल ९६ सर्जरीज की गईं। सेंट जॉर्ज अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनायक सदावर्ते के मुताबिक, कल चार माइनर सर्जरीज हुईं, लेकिन एक भी बड़ी सर्जरी नहीं की गई। इसी तरह ओपीडी में २९० मरीज इलाज कराने पहुंचे, जबकि १२ को भर्ती किया गया। उन्होंने कहा कि अस्पताल पर हड़ताल का खासा असर नहीं पड़ा। कामा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. तुषार पालवे ने कहा कि हमारे यहां ओपीडी में १५० मरीज पहुंचे, जबकि कल तक विभिन्न वॉर्डों में १३६ मरीजों का इलाज चलता रहा। इस दौरान डॉक्टरों ने तीन बड़ी और चार छोटी सर्जरियां भी कीं।

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