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लोकतंत्र पर विश्वास न करनेवाले के साथ कभी नहीं जाएंगे! … शरद पवार ने ठुकराया मोदी का ऑफर

सामना संवाददाता / मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि शरद पवार कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद छोटे-छोटे दलों का कांग्रेस में विलय हो जाएगा, लेकिन मैंने उन्हें पहले ही एनडीए में शामिल होने का ऑफर दिया था। हमने कहा था कि उन्हें एकनाथ शिंदे और अजीत पवार की तरह हमारे साथ आना चाहिए। उनके सभी सपने सच होंगे। प्रधानमंत्री के प्रस्ताव वाले बयान पर जवाब देते हुए शरद पवार ने कहा कि आजकल वे महाराष्ट्र में बार-बार आ रहे हैं। आज देश में संसदीय और लोकतांत्रिक व्यवस्था संकट में आ गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल में डाला गया। केंद्र की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी कार्रवाई हो ही नहीं सकती है। इससे एक बात स्पष्ट हो रही है कि लोकतंत्र व्यवस्था पर उनका विश्वास ही नहीं है। यह जनता अब समझ चुकी है। ऐसे लोगों को पास जाने का पैâसला मैं कभी नहीं ले सकता हूं।
मीडिया से बातचीत में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि मुझे गांधी-नेहरू विचारधारा प्रिय है, उसे छोड़कर मैं कहीं नहीं जाऊंगा। हमने सुना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भाषण में मुस्लिम समुदाय के बारे में कुछ टिप्पणियां कीं। अगर हमें इस देश को आगे ले जाना है तो सभी धर्मों को साथ लेकर चलना होगा। किसी समुदाय को दरकिनार करके आगे नहीं जाया जा सकता है। शरद पवार ने कहा कि हम उन लोगों के साथ कभी नहीं जाएंगे, जो कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में एक धर्म के खिलाफ बार-बार बोल रहे हैं। शरद पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के विचारों के खिलाफ जनमत बन रहा है। इससे उनमें बेचैनी पैदा हो गई है इसीलिए वे इस तरह के भ्रमित करने वाले बयान दे रहे हैं।
अजीत पवार पर शरद पवार का हमला
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने गुरुवार को शिरूर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि शरद पवार कभी-कभी भ्रमित करनेवाले बयान देते हैं। इसका जवाब देते हुए शरद पवार कहा कि राजनीति में ऐसे कई लोग हैं, जिनकी विशेषता बचकानी बुद्धि की है। ऐसे लोग बचकानी बातें कर रहे हैं। शरद पवार ने कहा है कि ऐसे लोगों पर क्या ध्यान दिया जाना चाहिए? शरद पवार ने कहा कि अगर सरकार का प्रतिनिधि लोगों का वोट देने का अधिकार छीन रहा है तो अब इस पर क्या कहा जाएगा? मंत्री के रूप में कार्य करनेवाले व्यक्ति का कुछ नियमों का पालन करने का दायित्व होता है। उनकी (अजीत पवार) भाषा इस ढांचे में फिट नहीं बैठती। अब जनता को निर्णय लेना है कि इस संबंध में क्या करना है।

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