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अडानी के लिए बंद हुईं जकात की चौकियां!..महायुति सरकार का अडानी को लाभ पहुंचाने का दांव…५०४ करोड़ रुपए का सरकार देगी मुआवजा

सामना संवाददाता / मुंबई

केंद्र सरकार के निर्देश और जीएसटी प्रणाली के कार्यान्वयन के चलते राज्य सरकार ने महाराष्ट्र की सभी मोटर परिवहन सीमा जांच चौकियों को स्थाई रूप से बंद करने का फैसला किया है। दावा किया गया है कि इससे अंतर्राज्यीय वाहन यातायात आसान होगा और व्यावसायिक वाहनों को होने वाली बाधाएं दूर होंगी। इसी के साथ ही महायुति सरकार ने अडानी समूह को ५०४ करोड़ रुपए का मुआवजा देकर एक बार फिर से लाभ पहुंचाने का दांव चला है। इस फैसले ने एक बार फिर से सरकार की नीयत को एक्सपोज कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि सन १९६६ में इन जांच चौकियों की स्थापना की गई थी। उस समय वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित करना, परिवहन नियमों का पालन सुनिश्चित करना और रोड टैक्स वसूलना इनका मुख्य उद्देश्य था। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद और परिवहन पर डिजिटल निगरानी प्रणाली आ जाने से इन चेकपोस्ट की आवश्यकता समाप्त हो गई है। इसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इन चेकपोस्ट को बंद करने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट यूनियन ने भी इस संबंध में कई बार मांग की थी। इसके अनुसार परिवहन विभाग ने सभी खामियों को दूर कर मुख्यमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट भेजी है। मंजूरी मिलने के बाद ये चेकपोस्ट बंद कर दिए जाएंगे।
अडानी को ५०४ करोड़ रुपए का मुआवजा
पहले एकीकृत जांच के लिए इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट योजना चलाई गई थी, जिसके लिए अडानी प्राइवेट लिमिटेड को नियुक्त किया गया था। लेकिन अब चेकपोस्ट बंद होने के कारण सरकार को इस कंपनी को ५०४ करोड़ रुपए का मुआवजा देना होगा। यह राशि भरने के बाद संबंधित प्रौद्योगिकी और अचल संपत्ति सरकार के स्वामित्व में आ जाएगी।
डिजिटल सिस्टम से बदलाव
परिवहन आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऑनलाइन और इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के कारण भौतिक जांच की आवश्यकता समाप्त हो गई है। परिवहन विभाग के मुताबिक, इससे काम में तेजी आएगी, देरी कम होगी और गड़बड़ियों पर रोक लगेगी।

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