मुख्यपृष्ठस्तंभउत्तर की बात : यूपी बीजेपी में अभी सब कुछ ठीक नहीं

उत्तर की बात : यूपी बीजेपी में अभी सब कुछ ठीक नहीं

रोहित माहेश्वरी
लखनऊ

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही यूपी बीजेपी में घमासान मचा हुआ है। पिछले एक महीने से तो योगी विरोधी गुट अति सक्रियता दिखा रहा है। बात दिल्ली दरबार तक पहुंच चुकी है लेकिन योगी और विरोधी गुट की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात और बैठकों के अलावा कुछ खास सामने नहीं आया है। योगी और उनके विरोधी गुट के पक्ष में पार्टी, संगठन और सरकार के किसी बड़े नेता का बयान सामने नहीं आया है। पर्दे के पीछे एक दूसरे को नीचा दिखाने की राजनीति जारी है।
पिछले दो महीने से यूपी के दोनों उप मुख्यमंत्री, केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक खुलकर तेवर दिखा रहे हैं। यह मैसेज बन रहा है कि दोनों उप मुख्यमंत्री नाराज हैं और इसलिए वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बुलाई बैठकों में नहीं शामिल हो रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से केशव प्रसाद मौर्य ने खुला विरोध किया है। कई और नेताओं ने योगी प्रशासन पर सवाल उठाया और हार का ठीकरा उनके ऊपर फोड़ने का प्रयास किया। कांवड़ियों के रास्ते में दुकानों पर दुकानदारों का नाम लिखने के उनके पैâसले के समर्थन में पार्टी का कोई बड़ा नेता नहीं उतरा। तभी जब सुप्रीम कोर्ट ने पैâसले पर रोक लगाई तो इस पर भाजपा के अंदर से कोई आवाज नहीं उठी। इस मामले में प्रदेश सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। जानकार तो ये भी कहते हैं कि योगी विरोधी गुट ने दुकानदारों के नाम लिखने वाले मामले को हवा देने का काम किया। असलियत तो खैर किसी को मालूम नहीं, लेकिन लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि प्रदेश सरकार की छवि जो सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ से जुड़ी है, उसे डैमेज करने की कोशिशें जारी हैं।
दिल्ली में २ दिन तक चली भारतीय जनता पार्टी की उच्च स्तरीय बैठक के बावजूद उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच शीत युद्ध पर विराम नहीं लगा है। केशव प्रसाद मौर्य मानूसन सत्र के पहले दिन दोपहर में भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग मोर्चा की बैठक में मुख्यमंत्री के आते ही निकल गए और उसके बाद शाम को उन्होंने योगी आदित्यनाथ के अंतर्गत आने वाले गृह विभाग की बैठक ले ली। इस बैठक की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट की मगर, मुख्यमंत्री को टैग नहीं किया। इस बैठक को लेकर अब चर्चाओं का बाजार गर्म है। किसके निर्देश पर केशव मौर्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विभाग की बैठक ले रहे हैं।
बैठक में पहुंचे डीजीपी प्रशांत कुमार और एसीपी दीपक कुमार को कानून व्यवस्था दुरुस्त करने समेत कई निर्देश दिए। इस मीटिंग के बारे में केशव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स और फेसबुक पर कई फोटो के साथ जानकारी साझा की। लेकिन, सीएम योगी के विभाग की बैठक कर रहे केशव ने उन्हें ही टैग नहीं किया है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बीजेपी और यूपी बीजेपी को टैग किया है। केशव प्रसाद मौर्य की इस मीटिंग की पॉवर कॉरिडोर में बड़ी चर्चा है।
पार्टी के अंदर असंतोष और खींचतानी तो जारी है ही। वहीं पार्टी के नेताओं के साथ भाजपा की सहयोगी पार्टियों जैसे अपना दल, निषाद पार्टी, रालोद आदि के नेता भी खुल कर बोलने लगे हैं। अपना दल की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कम से कम दो मौकों पर योगी सरकार को घेरा। पहले उन्होंने ज्यादा टोल टैक्स वसूले जाने की शिकायत की और फिर सरकारी नौकरियों में आरक्षित सीटों पर सामान्य श्रेणी के लोगों की नियुक्ति का मुद्दा उठाया। इस विवाद और खींचतान के बीच मुख्यमंत्री ने पल्लवी पटेल से मुलाकात की है।
पल्लवी पटेल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन हैं और अपना दल कमेरावादी की नेता हैं। उन्होंने २०२२ के विधानसभा चुनाव में सिराथू सीट पर केशव प्रसाद मौर्य को हराया था। तभी उनकी इस मुलाकात को बहुत अहम माना जा रहा है। योगी ने पल्लवी पटेल से मिल कर केशव प्रसाद मौर्य और अनुप्रिया पटेल दोनों को मैसेज दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस मुलाकात का कोई राजनीतिक नतीजा निकलता है या सिर्फ प्रेशर पॉलिटिक्स की कवायद मात्र ही रहता है। लब्बोलुआब यह है कि बीजेपी यूपी में दिनों-दिन भितरघात और आपसी खींचतान में कमजोर हो रही है। आने वाले दिनों में विधानसभा की दस सीटों पर उपचुनाव भी होना है, ऐसे में इस खींचतान और तनातनी का असर उपचुनाव के नतीजों पर पड़ना लाजिमी है।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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