सुरेश एस डुग्गर / जम्मू
कश्मीर का चुनावी परिदृश्य इस बार एक अलग नजारा भी दिखा रहा है। एक बाप अपने बेटे की जीत के लिए प्रचार मैदान में है, तो दूसरी ओर एक बेटी भी प्रचार मैदान में उतर चुकी है। हालांकि, यह बात अलग है कि दोनों के संसदीय क्षेत्र अलग-अलग हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला इस बार खुद चुनाव मैदान में नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया हो, बल्कि पार्टी सूत्रों के अनुसार, वे जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों के किस्मत आजमाते हुए खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए पेश करना चाहते हैं। इसलिए वे अपने बेटे उमर अब्दुल्ला के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री के तौर पर राजनीतिक सफर पूरा करने वाले उमर अब्दुल्ला इस बार बारामुल्ला सीट से मैदान में हैं। उन्होंने श्रीनगर संसदीय क्षेत्र को इस बार छोड़ दिया है, जो हमेशा से अब्दुल्ला परिवार की बपौती समझा जाता था। उन्हें उम्मीद है कि उनके अब्बाजान डॉ. फारूक अब्दुल्ला उनके लिए वोट जरूर बटोर लेंगे।
इसी तरह से पीडीपी उम्मीदवार और अपनी मां महबूबा मुफ्ती के पक्ष में उतरीं इल्तिजा ने कहा कि वह यहां लोगों के बीच महबूबा मुफ्ती की बेटी के रूप में नहीं, बल्कि पार्टी की एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में आई हूं। महबूबा मुफ्ती को उन्होंने राजोरी-अनंतनाग के लोगों के लिए सही विकल्प के रूप में स्थापित किया। इल्तिजा ने कहा कि वह लोगों के मुद्दों को उठाएंगी, क्योंकि हम जानते हैं कि 2019 से जम्मू-कश्मीर में क्या हो रहा है।
इल्तिजा मुफ्ती ने भाजपा की राजनीतिक चालों पर कहा कि अब वह अपने प्रतिनिधियों पर भरोसा कर रहे हैं। उन्होंने कश्मीर घाटी में उम्मीदवार उतारने में भाजपा की अनिच्छा की ओर इशारा करते हुए स्थानीय समर्थन जुटाने में आत्मविश्वास की कमी का संकेत दिया। इल्तिजा मुफ्ती ने जनता की चिंताओं को समझने की महबूबा मुफ्ती की क्षमता को रेखांकित किया।