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क्या होगा, क्या पता

कब कहां कैसे क्या होगा क्या पता ।
कौन कब शोषक बनेगा क्या पता ।।
क्या पता कैसे चलेगा कारवां।
कब मिलेगा लक्ष्य हमको क्या पता।।
लोग कुनबे में बंटे हैं आज भी।
तर्क कब विजयी बनेगा क्या पता।।
आदमी के सर चढ़ा है आदमी।
कब उतरकर वह चलेगा क्या पता।।
रोग इतना है कि हम अब क्या कहें।।
दर्द कब काफूर होगा क्या पता।।
कुछ जो लड़ने जा रहे मैदान में।
जीत लेंगे वे समर है क्या पता।।
एकता के हाथ में है फैसला।
एकता कब होगी हमें यह क्या पता।
अब चलो हम सोचते हैं क्या करें।
राह शायद मिल भी जाए क्या पता।।
प्यार से ही जंग जीतेंगे सही।
प्यार शायद हो ही जाए क्या पता।।
वे जो हमको मारते दिन रात हैं।
वे ही शायद डूब जाएं क्या पता।।
वे प्रदूषण ला रहे हैं जोर से।
कैसा बनेगा देश मेरा क्या पता।।
-अन्वेषी

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