एम.एम.एस.
२६ साल की वह महिला अपने बच्चे के साथ उस कमरे में बैठी थी। उसे पता था कि इस कमरे में गुप्त रूप से वह छिपी हुई है, क्योंकि एजेंट ने कहा था यदि वह पकड़ी गई तो उसे वापस भेज दिया जाएगा उसके देश। उसके साथ अन्य महिला भी और बच्चे भी। उसे इस बात का नहीं पता था कि वह अब यौन उत्पीड़न का शिकार बननेवाली थी।
दरवाजा भड़ाक से जोर की आवाज के साथ खुला, डरकर बच्चे दुबक गए। दो लोग कमरे में दाखिल हुए, उनके पास बंदूक थी। एक ने बच्चों को बाहर निकाला। उनके पास बंदूकें थीं और जब वह हम पर हमला कर रहा था तो बंदूकें सिर पर तान दीं। पहले उसने मुझे गाली दी और फिर उसने उसे गाली दी। हम उसके नियंत्रण में हैं और हमें लगता है कि हम बेकार हैं। हम कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसा लगता है कि वे हमें बता रहे हैं कि वे हमें मार सकते हैं और कोई कुछ नहीं कहेगा।
वक्त तेजी से निकलता जा रहा था। उसे पता तक नहीं चला कब दिन महीनों में बदलते चले गए।
जब तक वह उस गुप्त कमरे में छिपी रही, तब तक वहशियों का शिकार बनती रही। एक दिन उसे बताया गया कि अब उन्हें बॉर्डर पार कर अमेरिका जाना है। हालांकि, इस बात से उसे बहुत खुशी नहीं थी, लेकिन वह इस बीच जितनी जिल्लत सह चुकी थी उसको देखते हुए, भले खुद के लिए नहीं, लेकिन बच्चे के भविष्य के मद्देनजर अमेरिका जाने के सिवा वह और क्या कर सकती थी?
लेकिन बदकिस्मती से वह बॉर्डर पेट्रोलिंग टीम द्वारा पकड़ी गई। उसके साथ उसका बच्चा भी था और अन्य कहीं महिलाएं भी। उन सभी को पकड़कर डिटेंशन वैंâप ले आया गया।
सभी के मेडिकल टेस्ट किए गए। मेडिकल टेस्ट की रिपोर्ट उसकी जिंदगी में भूचाल ले आया। वह प्रेग्नेंट थी। रिपोर्ट उसके हाथ में थी। उसे जैसे काठ मार गया था। वह जमीन पर बैठ गई। सामने उसका बेटा बैठा हुआ था। वह हैरतभरी नजरों से अपनी मां की ओर तक रहा था, जो मुंह को अपनी हथेली से ढककर अपनी रुलाई रोकने की कोशिश कर रही थी। आज उसे खाया नहीं गया। नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। उसके सामने उसके पति का चेहरा तैर रहा था। वह उससे वैâसे नजरें मिलाएगी? उसे क्या जवाब देगी? क्या उसने उसके विश्वास को तोड़ दिया था? क्या वह उस पर विश्वास करेगा? आखिर उन्होंने प्रेम विवाह किया था। एक पल उसे लगा कि जैसे उसे मर जाना चाहिए। उसने तय किया कि वह आत्महत्या कर लेगी। फिर उसकी नजर अपने बच्चों पर पड़ी। अगर मर गई तो इस बच्चे का क्या होगा? डिटेंशन वैंâप में उसके बच्चे का क्या होगा? हो सकता है कि उसे वापस भेज दिया जाए! वह तो अपने देश को अपने शहर को जानता भी नहीं। कहीं वह गलत लोगों के हाथ लग गया तो… उसने सुना था बच्चों के साथ भी दरिंदगी होती है! बैठे-बैठे उसकी सांसें तेज हो गर्इं… पूरा शरीर पसीने से नहा गया… नहीं-नहीं, वह अपने इकलौते बच्चे को किसी के भरोसे नहीं छोड़ सकती! एक बार वह अपने बच्चों को उसके पिता से मिला दे, उसके बाद रोज जिंदा नहीं रहेगी! वह धीमे से उठी उसने अपने बच्चे को पास खींचा और उसके सिर पर हौले-हौले हाथ फेरने लगी। उसी हालत में कब उसे नींद आ गई उसे पता नहीं चला।
‘उस टेस्ट से पहले मुझे पता नहीं था कि मैं गर्भवती हूं। उस पल, ऐसा लगा जैसे मुझ पर निशान लगा दिया गया हो। मेरे साथ जो हुआ, उस उल्लंघन के कारण मुझे निशान लगा दिया गया था।’
यह उसकी खुशकिस्मती थी कि उसके प्रेमी पति ने उसे अबॉर्शन की इजाजत नहीं दी और उसे बच्चों को खुशी-खुशी स्वीकार लिया। उसे पवित्र बाइबिल का नाम एडोनाई दिया। उसके पति का कहना था कि उस बच्चे का क्या दोष है?
इस घटना के बाद भी लंबे अरसे तक उसके मन में आत्महत्या के विचार आते रहे और वह हमेशा खुद को दोषी समझती रही।
‘साइकोलॉजिस्ट के पास जाने से मुझे ठीक होने में मदद मिली। उसने मुझसे कहा कि हमें इस बारे में बात करनी चाहिए, हमें इसके बारे में सोचना चाहिए और हमें अपने जीवन को आगे बढ़ाना सीखना चाहिए, भले ही जो कुछ भी हुआ हो।’
‘जीवन में आगे बढ़ने के लिए मेरी प्रेरणा मेरे दो बच्चे हैं। मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करती हूं, क्योंकि मैंने जो कुछ भी सहा, वे उससे मिली खुशी हैं।’