सामना संवाददाता / मुंबई
शहर में अब तक ५१७ झोपड़पट्टी पुनर्विकास प्रोजेक्ट वर्षों से लटके हुए है, जिससे वहां के निवासी ईडी सरकार २.० से खीजे हुए नजर आ रहे है। दरअसल, ईडी सरकार २.० ने म्हाडा की जमीन पर अटके हुए झोपड़पट्टी पुनर्विकास प्रोजेक्ट (एसआरए) को म्हाडा के माध्यम से पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इस पैâसले के तहत शुरुआती चरण में १७ प्रोजेक्ट म्हाडा को सौंपने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब तक एसआरए प्राधिकरण ने केवल दो प्रोजेक्ट के लिए एलओआई (लेटर ऑफ इंटेंट) जारी किया है। वहीं गोरेगांव स्थित प्रेमनगर इलाके में ९ प्रोजेक्ट को सौंपने में टालमटोल की जा रही है।
इस समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने एसआरए प्राधिकरण को २२४ प्रोजेक्ट म्हाडा, एमएमआरडीए और अन्य सरकारी एजेंसियों को हस्तांतरित करने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में म्हाडा को शुरुआती तौर पर २१ प्रोजेक्ट सौंपने की योजना बनी थी, लेकिन कानूनी अड़चनों और वित्तीय व्यवहार्यता की जांच के बाद १७ प्रोजेक्ट ही दिए जाने के लिए तय किए गए। कई महीने बीत जाने के बावजूद एसआरए ने गोरेगांव प्रेमनगर इलाके के करीब ११,६५६ वर्ग मीटर भूमि पर स्थित १२५० झोपड़पट्टियों से जुड़े ९ अटके हुए प्रोजेक्ट म्हाडा को नही सौंपा है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
म्हाडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संबंधित प्रोजेक्ट्स को पहले विकसित करने वाले बिल्डर अब फिर से आगे आ गए हैं, जिससे इन्हें म्हाडा को सौंपने की प्रक्रिया में देरी हो रही है। ऐसे में पुनर्विकास की आस लगाए बैठे निवासियों को अधिक विलंब का सामना करना पड़ सकता है। इस देरी पर एसआरए के उपमुख्य अभियंता आर. बी. मिटकर ने कहा कि संबंधित प्रोजेक्ट म्हाडा को सौंपे जाएंगे। फिलहाल, प्रोजेक्ट के नक्शे तैयार करने और बुनियादी ढांचे की योजना बनाने का काम जारी है। यह प्रक्रिया पूरी होते ही म्हाडा को प्रोजेक्ट हस्तांतरित कर दिए जाएंगे।