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एसडीओ कार्यालय की खस्ता हालत!..सुनसान इलाके का दुरुप्रयोग कर सकते हैं असामाजिक तत्व

अनिल मिश्रा / उल्हासनगर

जैसा कि महाराष्ट्र में जगह-जगह पर एकांत, सुनसान, असुरक्षित जगह का प्रयोग समाज के असामाजिक तत्व लोग बलात्कर, नशा के लिए अड्डा बना रखे हैं। वैसे ही उल्हासनगर का एसडीओ कार्यालय भी कहीं बलात्कर जैसी काली करतूतों का शिकार न हो जाय। इसके एसडीओ को योग्य कदम उठाने की जरूरत है। ऐसी चर्चा उल्हासनगर में शुरू है।
उल्हासनगर के समाजसेवी कुमार मंगतानी ने बताया कि उल्हासनगर कैंप नंबर तीन, पवई परिसर में एसडीओ कार्यालय है, जो पहले ब्रिटिश कालीन बैरेक में था। उसकी स्थिति जर्जर सी हो गई है। उसके आगे एक दो मंजिल इमारत बना कर उसमें एसडीओ कार्यालय शुरू किया गया है। एसडीओ कार्यालय को उपजिलाधिकारी कार्यालय भी कहते हैं। उसका दायर उल्हासनगर, अंबरनाथ, बदलापुर-वांगनी तक आता है। एसडीओ कार्यालय में जमीनी विवाद, जमीन मालिकाना हक, जाति प्रमाण, समाचार पत्र (पेपर) डिक्लेरेशन, जाति प्रमाण पत्र की जांच जैसे तमाम तरह के कार्य किए जाते हैं।
एसडीओ को एक दंडाधिकारी का अधिकार भी प्राप्त है। उल्हासगर, अंबरनाथ तहसीलदार के वरिष्ठ होते हैं। इसके बावजूद कार्यालय परिसर की दशा देखने के लायक नहीं है। कार्यालय परिसर ने जंगल का रूप ले रखा है। पुराने कार्यालय के कई कमरे के दरवाजे पर ताला लगा है। वहीं कई कमरे के दरवाजे खुले हैं। आज समाज के विकृत लोग, नशेड़ी लोग बलात्कार, छेड़छाड़ कर रहे हैं। कार्यालय का नाम काली करतूतों के इतिहास में न छा जाए, इसके लिए मुख्य इमारत के पीछे के पुराने कार्यालय को तोड़कर उस जगह को समतल कर सुशोभीकरण करने की जरूरत है।
एसडीओ विजयानंद शर्मा ने बताया कि पुराने एसडीओ कार्यालय के साथ ही उल्हासनगर सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) कार्यालय में रखे गए कागजात की छंटाई का कार्य चल रहा है। जल्द से जल्द छंटाई कार्य होने के बाद खस्ता हालत में पहुंचे दोनों ही कार्यालय को समतल कर परिसर का सुशोभिकरण किया जाएगा।

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